राजनीतिक पोटैशियम साइनाइड से समाज को खतरा - जनसंघ

कहा कि सनातन धर्म के कारण ही देश विश्वगुरु और आर्थिक रूप से संपन्न सोने की चिड़िया था. सनातन विरोधी बौद्ध मत के कारण वैदिक वर्णाश्रम का विलोप होने लगा और देश गुलाम हुआ. उन्होंने कहा कि यदि ये राजद नेता सचमुच विकृतियों से लड़ना चाहते हैं तो अन्य मतों के ग्रंथों पर टिप्पणी करने का साहस दिखायें. 






- शिक्षा मंत्री के सनातन विरोधी बयान पर आचार्य भारत भूषण की तीखी प्रतिक्रिया
- कहां सभी प्राणियों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है रामचरित मानस

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद के धर्मविरोधी बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य भारतभूषण पाण्डेय ने कहा कि राजद के नेता धर्म और धर्मग्रंथों पर अकारण टिप्पणी करने से बाज आएं. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस और मनुस्मृति पूरी सृष्टि के चौरासी लाख प्रकार के समस्त प्राणियों का उत्कर्ष और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं. पृथ्वी का सबसे प्राचीन और सर्वश्रेयस्कर धर्म वैदिक सनातन धर्म है. स्मृतिकार स्वायंभुव मनु पृथ्वी के सबसे पहले मनुष्य राजा हैं. उनपर कीचड़ उछालने वाले अराजक तत्त्वों को विवेक का आश्रय लेना चाहिए.

आचार्य ने कहा कि सुधार के नाम पर जब-जब वैदिक धर्म से समाज को दूर किया गया तब-तब देश भयंकर अराजकता और आपत्तियों का शिकार हुआ. जनसंघ अध्यक्ष ने कहा कि सनातन धर्म के कारण ही देश विश्वगुरु और आर्थिक रूप से संपन्न सोने की चिड़िया था. सनातन विरोधी बौद्ध मत के कारण वैदिक वर्णाश्रम का विलोप होने लगा और देश गुलाम हुआ. उन्होंने कहा कि यदि ये राजद नेता सचमुच विकृतियों से लड़ना चाहते हैं तो अन्य मतों के ग्रंथों पर टिप्पणी करने का साहस दिखायें. आचार्य ने कहा कि जो लोग अपने से आयु,शील और गुण में न्यून राजद के युवराजों की पूजा करते नहीं अघाते हैं वे "पूजिअ विप्र शील गुण हीना" पर टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने प्रश्न किया कि जिन डॉ राममनोहर लोहिया ने अंग्रेजी में लिखे नेमप्लेट पुतवा दिया था और हिंदी के प्रबल हिमायती थे उनके अनुयायी बनने का दंभ भरने वाले तथाकथित समाजवादी "इंडिया" नाम से गठबंधन तथा उसमें अकारण हिंदी के प्रति द्वेष बुद्धि रखने वाले एम के स्टालिन के साथ समझौता किस सिद्धांत से किये हैं? संविधान और लोकतंत्र के किस अनुच्छेद के तहत सनातन धर्म को नष्ट करना और सनातन धर्मग्रंथों की निंदा करना उचित है? आचार्य ने चेताया कि राजनीतिक दल राजनीतिक व्यवस्था पर ही ध्यान केंद्रित रखें और सनातन धर्म, मनुस्मृति तथा ब्राह्मणवाद पर जुबान खोलने के पहले सौ बार सोचें. जनसंघ अध्यक्ष ने कहा कि द्रमुक नेताओं, कांग्रेस नेताओं और राजद नेताओं ने खुलेआम सनातन धर्म और संस्कृति पर हमला बोल कर अपना मंतव्य स्पष्ट कर दिया है. यह हमला देश और इसके आदर्श तथा अस्तित्व पर है जिसे देश की जनता समझ रही है.








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