वीडियो : अध्यात्म में लगा अंधविश्वास का तड़का, बाबा ने किया दावा - "अंग-अंग फड़का .."

पिपराढ़ गांव निवासी हिमांशु राय, पुरैनी निवाड़ी मिनी सिंह आदि ने बताया कि यहां काली कंबल वाले बाबा से मिलने के लिए 500 रुपये का शुल्क देना पड़ रहा है. शुल्क देने के बाद उनका नंबर लग जा रहा है और फिर किसी तरह धक्का-मुक्की कर वह बाबा तक पहुंच जा रहे हैं. 

 






- पिपराढ़ में चल रहे धर्मायोजन में डेढ़ हजार लोगों की भीड़ में ही अस्त-व्यस्त हो गया आयोजन
- काली कम्बल वाले बाबा के खूब लगे जयकारे लेकिन, इलाज का दावा निकला खोखला

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : कभी महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि रही बक्सर त्रेता युग से लेकर आज तक आध्यात्मिक के नाम पर पूरे विश्व में चर्चा का केंद्र बिंदु रही है दूर-दराज से लोग इस पावन धरा पर पहुंचते हैं और पवित्र गंगा जल से स्नान कर ही ऐसा समझते हैं कि उन्होंने मोक्ष पा लिया हो. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक त्रेता युग में जब महर्षि विश्वामित्र और अन्य ऋषि मुनि यहां तपस्या कर रहे थे तो राक्षसी ताड़का और उसके सहयोगी उसमें व्यवधान उत्पन्न कर रहे थे. बहरहाल, सब जानते हैं कि भगवान श्री राम किस तरह बक्सर पहुंचे और उन्होंने ताड़का का वध किया लेकिन ऐसी मान्यता है कि ताड़का के कुछ वंशज अभी बक्सर में निवास करते हैं और उनके कारण बक्सर में सात्विक विचार के लोगों का निवास करना मुश्किल हो गया है.

इसी माहौल में कभी-कभी कुछ धर्मायोजन होते रहते हैं, जिनमें आयोजकों का यह दावा होता है कि आज सनातन खतरे में है और उसे बचाने के लिए हमसे योग्य उम्मीदवार कोई नहीं हो सकता. ऐसा ही एक धर्मायोजन राजपुर प्रखंड के पिपराढ़ गांव में आयोजित है जहां गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी महाराज ने देश भर के कई साधु-महात्माओं को आमंत्रित किया है उनका यह कहना है कि यहां वह एक ऐसा आयोजन करेंगे जो अभी तक किसी भी संत-महात्मा ने नहीं कराया होगा. उन्हें उम्मीद है कि संयोजन से उनकी भी ख्याति दूर-दूर तक फैल जाएगी. इसी आयोजन के तहत उन्होंने शनिवार को काले कंबल वाले बाबा का दरबार अपने यहां लगाया लेकिन दरबार में सारी व्यवस्थाओं की पोल खुलती नजर आई. जो श्रद्धालु आस्था और भक्ति में सराबोर होकर वहां पहुंचे थे उन्हें वहां की अव्यवस्थाओं ने काफी परेशान किया. साथ ही काले कंबल वाले बाबा के जिस चमत्कार की बात हो रही थी वह अंधविश्वास से ज्यादा कुछ भी नहीं निकला.

ढाई से डेढ़ से दो हज़ार लोगों की भीड़ में ही अफरातफरी की स्थिति :

काले कंबल वाले बाबा से अपने लकवा, पोलियो, गठिया, मधुमेह, रक्तचाप आदि ठीक करने पहुंचे डेढ़ से दो हज़ार लोगों की भीड़ पहुंची थी. लेकिन वहां पर उनके बैठने तक के भी बेहतर व्यवस्था नहीं थी निर्धारित समय से 3 घंटा विलंब से पहुंचे बाबा ने जब इलाज शुरु किया तो वह खुद ही परेशान हो गए और 10 मिनट के अंदर वापस एसी लगी कुटिया में लौट गए. कंबल वाले बाबा जहां लोगों का इलाज करने पहुंचे थे, वहीं खुद ही पसीने से तरबतर होकर परेशान हो जा रहे थे. हालांकि हमसे हुई बातचीत में उन्होंने पुनः यह दावा किया कि उनके दरबार में असाध्याय रोग ठीक हो जाते हैं और यह सब कुछ देवी माता के द्वारा उनको दिए गए कंबल के कारण होता है. जब यह पूछा गया कि आज लोग ठीक क्यों नहीं हो रहे? तो उन्होंने कहा कि लोगों को कम से कम पांच बार आना होगा. 

लोगों ने कहा - सभ्य लोग ऐसे आयोजनों में आने से करें परहेज :

लोगों की जो भीड़ वहां पहुंची थी उसे व्यवस्थित करने का कोई इंतजाम कार्यक्रम के आयोजन के द्वारा नहीं किया गया था. ऐसे में कार्यकर्ता भी परेशान थे और कई बार कई लोगों के साथ उनकी झड़प तथा मार पीट तक हो गई. जिला मुख्यालय से अपने पुत्र का इलाज करने के लिए पहुंचे राम जी तिवारी की पत्नी तो गर्मी से बेहोश होकर गिर गई वही संजीत कुमार ने बताया कि जी चमत्कार की उम्मीद में वह यहां पहुंचे थे वह चमत्कार कहीं नहीं दिखा लेकिन जिस तरह की अभद्रता और अव्यवस्था यहां पर है. ऐसे में किसी भी सभ्य व्यक्ति को ऐसे आयोजन में आने से परहेज करना चाहिए. व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय संत-महात्मा स्वयं ही माइक से लोगों से अभद्रता से बातचीत कर रहे हैं.

बागेश्वर वाले बाबा का क्या होगा?

वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र चौबे बताते हैं कि जिस तरह यहां पर लोगों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है. कार्यकर्ता खुद ही लोगों से दुर्व्यवहार कर रहे हैं, ऐसे में यह नहीं समझ में आ रहा कि जब बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री यहां पहुंचेंगे तो उसे आयोजन को यह लोग कैसे संभाल पाएंगे? यहां ना तो वाहन पार्किंग की कोई व्यवस्था है और ना ही विशाल टेंट आदि लगाया गया है. ऐसे में गर्मी के मौसम में इस तरह का आयोजन कतई उचित नहीं है. इस आयोजन में लोग बीमारी से राहत नहीं बल्कि स्वयं ही बीमार होकर चले जाएंगे. आज कंबल वाले बाबा के यहां ही जो लोग इलाज अपने के लिए पहुंचे थे बैठे-बैठे उनके पैरों में झनझनाहट हो जा रही थी. कई लोग गर्मी से बेहोश हो गए. ऐसे में लोगों का यह कहना था कि वह अपने रोगी को दिखाने के लिए यहां लाए हैं कहीं वह स्वयं ही रोग ग्रस्त ना हो जाए. 
शुल्क की जानकारी देते पिपराढ़ निवासी युवक

नंबर लगाने के नाम पर 500 रुपये की वसूली : 

कंबल वाले बाबा से दिखाने के लिए नंबर लगाया जा रहा था इसके लिए 500 रुपये की वसूली प्रति व्यक्ति की जा रही थी. पिपराढ़ गांव निवासी हिमांशु राय, पुरैनी निवाड़ी मिनी सिंह आदि ने बताया कि यहां काली कंबल वाले बाबा से मिलने के लिए 500 रुपये का शुल्क देना पड़ रहा है. शुल्क देने के बाद उनका नंबर लग जा रहा है और फिर किसी तरह धक्का-मुक्की कर वह बाबा तक पहुंच जा रहे हैं. 

कुछ भी बोलने से बच रहे हैं गंगापुत्र :

पहले ही आयोजन में अव्यवस्थाओं को देख गंगा पुत्र भले ही चेहरे पर मुस्कान बिखेर रहे थे लेकिन उनकी चिंता उसे वक्त झलक गई जब उनसे पूछा गया कि धर्मायोजन कैसा रहा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. कहीं ना कहीं वह भी स्वयं मान रहे थे कि इस तरह का आयोजन अब उनसे नहीं संभल रहा. बहरहाल जो लोग वहां पर गए थे वह किसी तरह वहां से लौट गए.

वीडियो : 









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