वीडियो : अपनी मांगों को लेकर प्रशासन व एसजेवीएन के अधिकारियों के साथ बैठे किसान, प्रभावित क्षेत्र में विकास की गति तेज करने की मांग ..

आरोप है कि जब कंपनी के द्वारा जमीन अधिग्रहित की जा रही थी उस वक्त कहा गया था कि इस कंपनी में स्थानीय लोगो को खासकर जिनकी जमीन कम्पनी ले रही है, उनके घर में मुफ्त बिजली मिलेगी. स्वास्थ्य कार्ड मिलेगा. कम्पनी से निकलने वाले प्रदूषण से उनका स्वास्थ्य खराब न हो जिसको देखते हुए कम्पनी के अंदर से लेकर चारो तरफ 10 लाख वृक्ष लगाए जाएंगे. 

 






- गतिरोध को समाप्त करने के लिए डीएम के निर्देश पर समन्वय समिति का हुआ गठन
- 19 अक्टूबर को होने वाली दूसरी बैठक से पहले किसानों की समस्याओं का हल निकालने का पावर प्लांट अधिकारियों को दिया निर्देश

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : 11 हजार करोड़ की लागत से चौसा में बनने वाले 1320 मेगावाट के निर्माणाधीन पावर प्लांट के अधिकारियों, और किसानों के बीच पिछले एक दशक से भूमि की उचित मुआवजे की मांग को लेकर संघर्ष जारी है. किसानों का आरोप है कि 2012-13 में पावर प्लांट के लिए कम्पनी ने जो जमीन अधिग्रहित की थी. उसी दर से 2021-22 में रेल कॉरिडोर और वाटर पाइप लाइन के लिए किसानों से जबरजस्ती जमीन ले रही है. जबकि किसान वर्तमान दर से जमीन की मुआवजे की मांग लेकर लगातार आंदोलन कर रहे है. हालांकि, अब मामला एलएआर कोर्ट में है जिसका फैसला सभी मानने को तैयार हैं.

इसी बीच किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर एक समन्वय समिति बनाई गई है जिसमें प्रशासन की तरफ से उप-समाहर्ता प्रमोद कुमार एवं एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा के समिति का नेतृत्व कर रहे हैं. इस समन्वय समिति के अध्यक्ष उप-समाहर्ता अध्यक्ष है जबकि एसडीएम के साथ ही प्रभावित किसान और कम्पनी के कर्मी इस  समिति के सदस्य हैं, जिनके बीच पहले दौर की बैठक 5 अक्टूबर को शाम चार बजे से साढ़े छह बजे तक चली. 

प्रशासनिक अधिकारियों ने एसजेवीएन के अधिकारियों को जमकर लगाई फटकार :

इस बैठक में किसानों ने प्रमुखता से यह बात उठाई की एसजेवीएन ने प्रभावित क्षेत्र के विकास का जो वादा किया था वह वादा पूरी तरह से धरातल पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा. साथ ही प्रभावित परिवारों को निशुल्क बिजली दिए जाने की बात भी कही गई थी. किसानों के इस आरोप पर अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने एसजेवीएन के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई और कहा किसानों के हितों के साथ समझौता किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा. उपसमाहर्ता प्रमोद कुमार ने कंपनी के अधिकारियों को कहा कि आगामी 19 तारीख को होने वाली दूसरी बैठक से पहले कंपनी के अधिकारी लिखित रूप में यह लेकर आए कि उन्होंने किसानों के लिए क्या कुछ किया और क्या करने वाले हैं. 

किसानों ने उठाए ये मुद्दे : 

चौसा के किसानों का आरोप है कि जब कंपनी के द्वारा जमीन अधिग्रहित की जा रही थी उस वक्त कहा गया था कि इस कंपनी में स्थानीय लोगो को खासकर जिनकी जमीन कम्पनी ले रही है, उनके घर में मुफ्त बिजली मिलेगी. स्वास्थ्य कार्ड मिलेगा. कम्पनी से निकलने वाले प्रदूषण से उनका स्वास्थ्य खराब न हो जिसको देखते हुए कम्पनी के अंदर से लेकर चारो तरफ 10 लाख वृक्ष लगाए जाएंगे. हाइटेक अस्पताल, मॉडल स्कूल, पार्क, स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा. किसानों को उनके जमीन का उचित मुआवजे दी जाएगी लेकिन जमीन देने के बाद कम्पनी ने अपने एक भी वादा नही निभाया ऐसे में आज भी अपना काम छोड़कर किसान धरना दे रहे हैं और आंदोलन कर रहे हैं.

समन्वय समिति के माध्यम से निकलेगा हल : किसान

किसानों के साथ हुए इस छलावे का निराकरण करने के लिए, जिलाधिकारी द्वारा  बनाई गई समन्वय समिति पर किसानों को भरोसा है. चौसा के किसानों ने बताया कि जिस तरफ से पहले दौर की बैठक सार्थक रही उससे किसानों में उम्मीद जगी है कि उनकी समस्याओं का निदान निकल जाएगा. जिसकी झलक 19 अक्टूबर को होने वाली दूसरी बैठक में देखने को भी मिलेगी.

बिचौलियों के फेर में नहीं फसेंगे किसान : प्रशासन

समन्वय समिति के अध्यक्ष उपसमाहर्ता प्रमोद कुमार और सदस्य सदर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि, किसानों के हर समस्याओं का निदान निकाला जाएगा. 19 तारीख से पहले कंपनी के कर्मियों को यह निर्देश दिया गया है कि किसानों के जो भी डिमांड है उसे पर पूरी जानकारी लेकर अगले बैठक में आए और जो किसानों का शिकायत है उसे दूर करें, वहीं एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि कंपनी ने शुरुआती दौर में जो भी वादे किसानों से किए हैं, चाहे वह मुआवजे का हो या स्वास्थ्य, शिक्षा, वृक्षारोपण, खेल मैदान या पार्क का सभी बिंदुओं पर वार्ता हो रही है. समन्वय समिति का उद्देश्य ही है कि किसान जिला प्रशासन के अधिकारियों के सामने बिना किसी बिचौलिए के कम्पनी के कर्मियों से सीधे बात कर सके.

2023 में ही शुरु होना था उत्पादन :

गौरतलब है कि 2023 में ही चौसा पावर प्लांट का 660 मेगावाट का एक यूनिट शुरु होना था. लेकिन जनवरी माह में अपनी मांग को लेकर पुलिस लाठी चार्ज के विरोध में किसानों ने जिस तरह से  पावर प्लांट में आग लगा दी थी उससे कम्पनी का काम प्रभावित हुआ. अब पावर प्लांट के अंदर काम कर रहे मजदूरों का भी आरोप है कि कम्पनी के कर्मी अंग्रेजो से भी बदतर दुर्व्यवहार कर रहे हैं.

वीडियो :








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