बाल गृह के बच्चों ने अधीक्षिका पर लगाया गुप्तांग पर मिर्च पॉवडर डालने सनसनीखेज आरोप, तीन सदस्यीय टीम की जांच जारी ..

अनाथ और बेसहारा बच्चों को रखा जाता है. जहां सरकार के द्वारा उनके रहने, भोजन और पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था की जाती है. लेकिन ऐसे बच्चों को इस तरह की सजा अधीक्षिका क्यों देती हैं इसका पता नहीं चल सका है. सवाल यह भी है कि बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक की भूमिका ऐसी क्यों है कि बच्चों को उनपर भरोसा नहीं होता?  







- एक महीने पूर्व ही सामने आया था मामला, अब तक जांच पूरी नहीं
- सहायक निदेशक की भूमिका भी संदिग्ध, उप विकास आयुक्त के नेतृत्व में बनी है जांच टीम 

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बाल गृह में दिव्यांग किशोरों को प्रताड़ित करने का एक सनसनीखेज मामला सामने है. जिसमें वहां रह रहे किशोरों के गुप्तांग पर मिर्च पाउडर लगवाने का आरोप अधीक्षिका पर लगाया गया है. बच्चों का आरोप है कि अधीक्षिका रेवती कुमारी ऐसा कई बार कर चुकी हैं. जिसकी शिकायत जब तत्कालीन बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष से की गई तो उन्होंने इस मामले से जिला पदाधिकारी को अवगत कराया. इसके बाद उनके निर्देश पर उपविकास आयुक्त के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम मामले की जांच कर रही है.

दरअसल, मामला 4 अक्टूबर 2023 को प्रकाश में आया. बच्चों ने बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष मदन सिंह से जो शिकायत की उसमें उन्होंने बताया था कि मैडम दो बच्चों से उनका हाथ पकड़वाती हैं और फिर उनके गुप्तांग पर मिर्च रगड़वाती हैं. यह क्रम तीन-चार महीनों से लगातार चल रहा है. बच्चों का यह भी कहना था कि इस बात की जानकारी बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक को नहीं दी जाए क्योंकि उनसे शिकायत करने पर वह कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. उल्टे बच्चों को दंडित करेंगे. ऐसे में बच्चों के अनुरोध पर अध्यक्ष ने जिला पदाधिकारी को इस बात से अवगत कराया.

जानकारी मिलते ही आग बबूला हो गए सहायक निदेशक, अध्यक्ष को बनाया बंधक :

जिला पदाधिकारी को प्रेषित पत्र किसी प्रकार से सहायक निदेशक के हाथ में लग गया. जिसके बाद 13 अक्टूबर को सहायक निदेशक विकास कुमार बाल गृह पहुंच गए. वहां बच्चों ने उनके और अध्यक्ष मदन सिंह के सामने सभी आरोपी को फिर से दोहरा दिया. बावजूद इसके सहायक निदेशक इस बात से खासे नाराज थे कि बिना उनके जानकारी के सीधे डीएम के यहां यह बात कैसे पहुंच गई? उन्होंने अपने साथ पहुंचे कुछ बाहरी लोगों की मदद से मदन सिंह को उनके कार्यालय में ही तकरीबन 3 घंटे तक इसी बात के लिए कैद कर दिया. बाद में किसी तरह वह निकले और बच्चों ने मदन सिंह और विकास कुमार के सामने पुनः जो बयान दिया था उसकी ऑडियो क्लिप को पत्र के साथ जिला पदाधिकारी व अन्य वरीय अधिकारियों को भेजा.

क्यों मिलती रही ऐसी सजा?

बाल गृह में भूले-भटके हुए अनाथ और बेसहारा बच्चों को रखा जाता है. जहां सरकार के द्वारा उनके रहने, भोजन और पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था की जाती है. लेकिन ऐसे बच्चों को इस तरह की सजा अधीक्षिका क्यों देती हैं इसका पता नहीं चल सका है. सवाल यह भी है कि बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक की भूमिका ऐसी क्यों है कि बच्चों को उनपर भरोसा नहीं होता? इसके बारे में अधीक्षिका के मोबाइल नंबर पर फोन करने पर उन्होंने फोन उठाकर जवाब नहीं दिया. ऐसे में ये प्रश्न अनुत्तरित ही रह गए हैं. जिसका जवाब शायद अधिकारियों की जांच पूरी होने के बाद मिल सकेगी.

यहां बता दे कि समाज कल्याण विभाग की तरफ से संचालित बाल गृह में में 50 बच्चों की रखने की व्यवस्था है. यहां 18 साल से कम उम्र के 24 बच्चे रह रहे हैं. इनमें 11 बच्चे दिव्यांग भी हैं. लेकिन जिस पर बच्चों के बेहतर संरक्षण का जिम्मा है, उन्होंने ही बच्चों के साथ ऐसा कुकृत्य कर दिया है, जिससे कि मानवता भी शर्मसार हो गई है.

कहते हैं अधिकारी :
इस तरह के मामले की जानकारी जैसे ही मिली जिला पदाधिकारी के निर्देश पर तीन सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया गया है. जिसका अध्यक्ष मैं स्वयं हूं. मेरे अतिरिक्त अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा एवं डीएसओ रश्मि कुमारी टीम में शामिल हैं. मामले में जांच जारी है.
डॉ महेंद्र पाल,
उप विकास आयुक्त






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