व्यास पीठ पूजन के साथ 54 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव का हुआ शुभारंभ ..

समाज को जोड़ने का कार्य ही यज्ञ है. अपने अवसाद को त्याग कर भगवान जुड़ना ही यज्ञ है. बक्सर की पावन भूमि पर प्रभु स्वयं विश्वामित्र महामुनि से जुड़े और विश्वामित्र जी ने प्रभु श्रीराम को अहिल्या जी से जोड़ा,माता जानकी से जोड़ा. इसलिए मैं कहता हूँ कि बक्सर वह पवित्र भूमि है जहां विश्वामित्र जी ने यज्ञ अर्थात समाज को जोड़ने का संकल्प लिया.






- पहले दिन पुण्डरीक शास्त्री जी महाराज ने बताया कि भगवान की कथा का महत्व
- 11 दिसम्बर से शुरु होगी मलूकपीठाधीश्वर जगतगुरु राजेन्द्र दास के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले 54 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव (सीताराम विवाह महोत्सव) का भव्य शुभारंभ आज नया बाजार स्थित आश्रम में हुआ. महोत्सव को लेकर पूरे आश्रम परिसर की विशेष साज सज्जा की गई है. साथ ही मुख्य कार्यक्रम के लिए विशाल पण्डाल का निर्माण किया गया है. 

आज प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए. आश्रम के परिकरों के द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी नवाह पारायण पाठ किया गया. तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टयाम हरिकीर्तन प्रारंभ हुआ. राष्ट्रपति पदक प्राप्त ब्रज कोकिल श्री फतेह कृष्ण शास्त्री के निर्देशन में रासलीला के तहत माखनचोर प्रसंग का मंचन किया गया.
              

श्री सीताराम विवाह महोत्सव के प्रथम दिन आज व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोचार के पूजन के साथ नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ. श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी महाराज के कर कमलों द्वारा व्यासपीठ का पूजन कर कथा की विधिवत शुरुआत की गई.

आज की कथा मे कथा व्यास श्री पुण्डरिक शास्त्री जी महाराज ने कहा कि भगवान की कथा मंगल कारक एवं विघ्न नाशक है. जहाँ भगवान की कथा होती है वहाँ मंगल ही मंगल होता है और दूर दूर तक विघ्न नही आता. उन्होने कहा कि भगवत कथा श्रवण करने वाले का मंगल ही होता है. उन्होने कहा कि संत भक्त को भगवान से जोड़ते है और बक्सर की भूमि वह पवित्र भूमि है, जहां सबके कल्याण के लिए सम्पूर्ण ब्रह्मांड को जोड़ने का संकल्प लिया गया. समाज को जोड़ने का कार्य ही यज्ञ है. अपने अवसाद को त्याग कर भगवान जुड़ना ही यज्ञ है. बक्सर की पावन भूमि पर प्रभु स्वयं विश्वामित्र महामुनि से जुड़े और विश्वामित्र जी ने प्रभु श्रीराम को अहिल्या जी से जोड़ा,माता जानकी से जोड़ा. इसलिए मैं कहता हूँ कि बक्सर वह पवित्र भूमि है जहां विश्वामित्र जी ने यज्ञ अर्थात समाज को जोड़ने का संकल्प लिया. 

उन्होंने कहा कि संतों की चेतना उनका संकल्प और आशीर्वाद कभी भी नष्ट नहीं होता. उन्होने कहा कि कथा श्रवण करने से मनुष्य की चिति शुद्ध होती है. शुद्ध चिति से वृति शाँत होति है और मन पवित्र होता है. शुद्ध चिति,शांत वृति और पवित्र मन से चातुर्य पुरूषार्थ ठीक होता है. भगवान की भक्ति गंगा, हमारी भक्ति यमुना है.

रात्रि में आश्रम के परिकरो के द्वारा रामलीला में श्री गौरीशंकर विवाह लीला का मंचन किया गया. कल दिनांक 11 दिसम्बर से मलुकपीठाधिश्वर जगतगुरू श्री राजेन्द्र दास जी के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा कही जाएगी.






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