कमजोर आर्थिक स्थिति नहीं आई आड़े, जिले के टॉपर्स ने मनवाया प्रतिभा का लोहा ..

उच्च शिक्षा के लिए जिले में एक भी कॉलेज अथवा शैक्षणिक संस्थान नहीं है दुर्भाग्य यह भी है कि जिस जिले के सांसद दो बार केंद्रीय मंत्री रहे हैं, वहां बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए कभी कोई बेहतर पहल नहीं की गई. ऐसे में जिले की के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के सपनों को पंख नहीं मिल पाते हैं.
सत्यम, पवन व रिया (बाएं से दाएं)












- मैट्रिक परीक्षा के जिला टॉपर का नाम राज्य स्तरीय सूची में शामिल
- निम्न आय वर्ग के परिवार से आए बच्चों ने किया माता-पिता का नाम रोशन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : फरवरी माह के 15 से 23 तारीख के बीच में आयोजित हुई मैट्रिक की परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया है. इस बार जिले के चौसा प्रखंड के दो छात्रों ने क्रमशः प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त किया है जबकि ब्रह्मपुर प्रखंड की एक छात्रा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया है. जिले में टॉप करने वाले छात्र को राज्य स्तरीय सूची में सातवां स्थान मिला है.

बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि मैट्रिक परीक्षा परिणाम में टॉप 20 छात्रों को JEE की मुफ्त कोचिंग मुहैया कराई जाएगी. साथ ही टॉप 10 छात्रों को तो फ्री हॉस्टल की भी सुविधा मिलेगी. ऐसे में जिला टॉपर ने इस पुरस्कार के लिए अपना चयन सुनिश्चित कर लिया है.
सत्यम शिवांश


चौसा प्रखंड के देवी डिहरा गांव निवासी तथा उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय सगरा के छात्र सत्यम शिवांश 482 (96.4) अंक लाकर जिला टॉपर बनने के साथ ही राज्य स्तरीय सूची में सातवें स्थान पर हैं. सत्यम के पिता राजेश राम बीटेक के बाद फिलहाल बेरोजगार हैं. माता अर्चना देवी गृहणी हैं. सत्यम के पिता ने कुछ दिन सरकारी विद्यालय में शिक्षा के रूप में पढ़ने के पश्चात बीएड और डीएलएड नहीं करने के कारण उनकी शिक्षक की नौकरी चली गई. तकरीबन 1 साल से नौकरी छूटने के कारण हालत थोड़ी तंगी में बीत रही है, लेकिन उन्होंने कहा कि आज उनके पुत्र ने उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया.
पवन कुमार

चौसा प्रखंड के सिकरौल हाई स्कूल के छात्र पवन कुमार 475 (95% अंक) लाकर जिले के सेकेंड टॉपर हैं. चौबे की छावनी निवासी पवन के पिता धर्मेंद्र राजभर छोटे किसान हैं जबकि माता शनिचरी देवी गृहणी हैं. उनकी सफलता पर न सिर्फ घर वालों बल्कि जान पहचान वाले लोगों में भी हर्ष व्याप्त है. 
रिया कुमारी

इसके साथ ही ब्रह्मपुर प्रखंड के हरनाथपुर पंचायत के दल्लूपुर गांव निवासी तथा गणपत चकनी हाई स्कूल की छात्रा रिया कुमारी ने 473 अंक (94.6%) प्राप्त कर जिले के थर्ड टॉपर होने का गौरव प्राप्त किया है उनके पिता ऋषि मुनि कुंवर ट्रक ड्राइवर हैं तथा माता वर्षा कुमारी मिडिल स्कूल की शिक्षिका हैं. उनकी सफलता से परिजनों के साथ-साथ ग्रामीणों के बीच भी हर्ष व्याप्त है. 

माता पिता के साथ प्रीति

बक्सर रेलवे स्टेशन पर इंक्वारी क्लर्क अरुण चौधरी तथा गृहणी राजमुनि देवी की पुत्री प्रीति कुमारी ने परीक्षा में 408 (81.6%) अंक प्राप्त किए हैं. अपनी पुत्री के सफलता से माता-पिता फूले नहीं समा रहे हैं. अरुण चौधरी ने बताया कि उनके पुत्री शुरु से ही पढ़ाई में अव्वल रही है आगे की पढ़ाई के लिए भी वह उसे किसी प्रकार की कमी नहीं होने देंगे.

माता-पिता के साथ पलक

गोला बाज़ार निवासी पलक कुमारी ने परीक्षा में 466(93.8%) अंक प्राप्त किये हैं. वह गर्ल्स हाई स्कूल की छात्रा हैं. उनके पिता पवन गुप्ता किराना दुकानदार हैं जबकि माता कंचन देवी गृहणी हैं. स्वजनों तथा जान-पहचान के लोगों ने पलक को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी है.
स्वजनों के साथ खुशबू

बक्सर जिले के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय मंझरिया-खुंटहा की छात्रा खुशबू कुमारी ने 445(89%) अंक प्राप्त किए हैं. रामोबारिया निवासी खुशबू के पिता संजय कुमार सिंह पेशे से मजदूर हैं जबकि मां सरिता देवी गृहणी है. खुशबू बड़ी होकर आइएएस बनना चाहती है. खुशबू के चाचा विमलेश सिंह ने बताया कि खुशबू बचपन से ही प्रतिभावान है और वह अपनी बहनों को अपनी प्रेरणा मानती है.
अमृता कुमारी


एसकेआर उच्च विद्यालय तिवारीपुर की छात्रा अमृता कुमारी ने 423 (85.6%) अंक प्राप्त किये हैं. परसिया निवासी अमृता के किसान पिता स्व त्रिभुवन उपाध्याय की मृत्यु एक साल पहले लंबी बीमारी के कारण हो गई थी. उनकी माता ममता देवी ने दलसागर में ब्यूटी पार्लर चलाकर अपनी तीन पुत्रियों का भरण-पोषण किया. आज अमृता की सफलता से उनका सिर गर्व से ऊंचा हो गया है.

उपलब्ध नहीं हैं संसाधन, कैसे लगेंगे सपनों को पंख?

सभी बच्चों अपने उज्जवल भविष्य को लेकर भी कई सपने देख रखे हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि कॉलेज में भी नामांकन के लिए सीट नहीं होने पर उन्हें भटकना पड़ता है. जबकि उच्च शिक्षा के लिए जिले में एक भी कॉलेज अथवा शैक्षणिक संस्थान नहीं है दुर्भाग्य यह भी है कि जिस जिले के सांसद दो बार केंद्रीय मंत्री रहे हैं, वहां बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए कभी कोई बेहतर पहल नहीं की गई. ऐसे में जिले की के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के सपनों को पंख नहीं मिल पाते हैं.










Post a Comment

0 Comments