पूर्वांचली सॉफ्टवेयर इंजीनियर दिल्ली में बांट रहे हरियाली, छतों और बालकनी में करा रहे सब्जी की खेती ..

बड़े नगरों में रहने वाले लोग भले ही बहुत तेजी से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे हो लेकिन पर्यावरणीय असंतुलन ने उनके जीवनकाल को कम कर दिया है. साफ शब्दों में कहे तो वह पर्यावरण से दूर जाकर मौत के करीब जा रहे हैं. 











- उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के निवासी मिथिलेश ने हरियाली को बनाया मिशन
- पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ लोगों को स्वच्छ आहार उपलब्ध कराने कोशिश


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर :  आज के समय में जब प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम सभी पर्यावरण के प्रति अपनी जवाब देही को पूरा करें और उसके प्रति सकारात्मक रख रखते हुए उसके संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रयास करें हालांकि यह सोच होने के बावजूद लोग उस वक्त निराश हो जाते हैं जब वह अलग-अलग कारणों से अपना गांव-घर छोड़कर शहरों में छोटे-छोटे फ्लैट में रहने को विवश हो जाते हैं. लोगों का यह कहना होता है कि वह भी चाहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें अथवा ऐसा परिवेश बनायें जिसमें स्वच्छ हवा, जल और आहार उन्हें मिल पाए, लेकिन ऐसा इस लिए नहीं संभव हो पाता क्योंकि हमारे पास खुद की जमीन नहीं होती. 

लोगों की इस समस्या का हल भले ही पर्यावरण विद् न निकाल पाए हो लेकिन दिल्ली के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने इस समस्या का हल निकाल लिया है मूल रूप से पूर्वांचल के निवासी मिथिलेश कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से आते हैं. उन्होंने बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपने करियर की शुरुआत की थी. किसान परिवार से आने वाले मिथिलेश ने कोरोना संक्रमण काल में दिल्ली को छोड़ अपने पैतृक गांव बालियां में कुछ दिनों का प्रवास किया. यहां की आबोहवा में आने के बाद उन्हें यह अहसास हुआ कि बड़े नगरों में रहने वाले लोग भले ही बहुत तेजी से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे हो लेकिन पर्यावरणीय असंतुलन ने उनके जीवनकाल को कम कर दिया है. साफ शब्दों में कहे तो वह पर्यावरण से दूर जाकर मौत के करीब जा रहे हैं. 

इस छोटी सी बात ने उनकी सोच को काफी प्रभावित किया और उन्होंने एक ऐसी तकनीक ईजाद की जिस तकनीक के सहारे लोग अपनी बालकनी और छत पर न सिर्फ हरियाली बिखेर सकते हैं बल्कि पर्यावरण के असंतुलन को भी दुरुस्त करते हुए अपने लिए पौष्टिक और केमिकल मुक्त आहार स्वयं उत्पादित कर सकते हैं. 

मिथिलेश बताते हैं कि कोरोना संक्रमण काल खत्म होने के बाद जब वह गांव से दिल्ली के उत्तम नगर स्थित अपने आवास पर पहुंचे तो उनके दिमाग में एक ही बात कौंध रही थी कि किस प्रकार गांव की हरियाली को शहर में भी लाया जाए और यहां की आबोहवा को स्वच्छ और बेहतर बनाने के साथ-साथ लोगों को गांव की तरह ही केमिकल मुक्त आहार मिल सके.

पर्यावरण के दुश्मन प्लास्टिक को ही बनाया पर्यावरण संरक्षण का हथियार :

अपनी पत्नी विंध्यवासिनी सिंह के साथ वह घर की छत पर टहल रहे थे तभी उनके दिमाग में एक आइडिया कौंधा और उन्होंने पर्यावरण के लिए खतरा बन चुके प्लास्टिक को ही पर्यावरण की रक्षा का कवच बनाने की सोची और उन्होंने पीवीसी पाइप की मदद से घर की छतों पर फूल, व सजावटी पौधों के साथ ही सब्जी की खेती शुरु कर दी. कुछ ही महीनों में उनका यह आइडिया हिट हो गया. बाद में उनकी एक यूट्यूबर मित्र ने उन्हें यह सलाह दी कि वह टेरेस बालकनी में लगाए जाने वाले इस वर्टिकल वेज गार्डन के सेटअप को और लोगों के बीच पहुंच ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ ले सके.

सालों भर उपजा सकते हैं केमिकल फ्री सब्जियां :

मिथिलेश ने ने इस आइडिया पर भी काम किया और वेज रूफ सॉल्यूशन नामक एक यूट्यूब चैनल के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास शुरु किया. आज मिथिलेश के साथ जुड़कर कई लोगों ने अपने घरों की छतों पर सब्जियों की खेती शुरु कर दी है. इससे एक साथ पर्यावरण संरक्षण और उत्तम आहार दोनों जरूरतें पूरी हो सकती है. मिथिलेश ने बताया कि छत पर होने वाली इस खेती के माध्यम से एक परिवार अपने लिए सालों सब्जियों की उपज स्वयं कर सकता है. 

देश ही नहीं विदेशों में भी सराहना :

मिथिलेश के वेग रूफ सॉल्यूशन से जुड़कर कई लोगों ने अपने घरों की चो बालकनी आदि पर सब्जी की खेती की है उनका आइडिया न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जा रहा है. दिल्ली और आसपास के लोग अब मिथिलेश और उनकी टीम की सहायता से घरों की छतों और बालकनी में सब्जियों की खेती कर रहे हैं बल्कि अन्य लोगों को भी यह सुझाव दे रहे हैं. हाल ही में रेडियो ऑस्ट्रेलिया ने भी उनके इस नए आविष्कार की सराहना की और उनका इंटरव्यू अपने यहां प्रकाशित किया. मिथिलेश कहते हैं कि उन्होंने प्रदूषित हो चुकी दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने के साथ-साथ स्वस्थ आहार अपने के लिए जो प्रयास शुरू किया है हर व्यक्ति यदि उससे जुड़े तो निश्चय ही सर्वाधिक प्रदूषित हो चुकी देश की राजधानी प्रदूषण रूपी राक्षस के आतंक से मुक्त हो पाएगी.










Post a Comment

0 Comments