मानवाधिकार व सामाजिक न्याय संस्था ने किया मेहनतकश लोगों को सम्मानित ..

भारत मे सर्व प्रथम चेन्नई में 1 मई 1923 से मजदूर दिवस मनाया जाना शुरु किया गया. दो जून की रोटी के लिए लाखों लोग पूरी दुनिया में कार्य कर रहे हैं. ऐसे में इनके लिए एक दिन तो होना ही चाहिये. उन्होंने बताया कि पिछले साल भी मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संस्था ने लगभग 50 लोगों को सम्मानित किया था. 









-चीनी मिल स्थित कार्यालय में आयोजिय हुई परिचर्चा
-पिछले वर्ष भी मजदूरों को मिला था सम्मान

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संस्था ने  मजदूर दिवस पर मेहनतकश लोगो को सम्मानित किया. चीनी मिल स्थित कार्यालय पर आयोजित परिचर्चा में डॉ दिलशाद आलम ने कहा कि देश में हजारों मजदूर भारत को मजबूत बनाने में अहम योगदान दे रहे हैं. भारत की तस्वीर तेजी से विश्व पटल पर बदल रहीं है.

उन्होंने बताया कि 1889 में समाजवादी समूहों और ट्रेड यूनियनों के एक अंतरराष्ट्रीय महासंघ ने श्रमिकों के समर्थन में 1 मई को एक दिन के रूप में नामित किया था. शिकागो में हेमार्केट दंगा (1886) के पांच साल बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने श्रमिक दिवस की समाजवादी उत्पत्ति से असहज ग्रोवर क्लीवलैंड ने श्रमिक दिवस (जो पहले से ही कुछ राज्यों में सितंबर के पहले सोमवार को मनाया जाता था) को श्रमिकों के सम्मान में आधिकारिक अमेरिकी अवकाश बनाने के लिए कानून पर हस्ताक्षर किए. कुछ ही समय बाद कनाडा ने भी इसका अनुसरण किया. भारत मे सर्व प्रथम चेन्नई में 1 मई 1923 से मजदूर दिवस मनाया जाना शुरु किया गया. दो जून की रोटी के लिए लाखों लोग पूरी दुनिया में कार्य कर रहे हैं. ऐसे में इनके लिए एक दिन तो होना ही चाहिये. उन्होंने बताया कि पिछले साल भी मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संस्था ने लगभग 50 लोगों को सम्मानित किया था.

महान दार्शनिक कार्ल मार्क्स ने सबसे पहले मजदूरों के लंबे वक्त तक काम करने का विरोध किया था और मांग किया था कि काम के घण्टे तय हो, मजदूरों को साप्ताहिक अवकाश मिले और उनके शोषण जो काम करने के प्रक्रिया के दौरान होते हैं उनपर रोक लगाई जाए.इसके लिए मजदूरों ने हड़ताल की. मजदूरों की मांग मान ली गई और काम के घण्टे अधिकतम 8 घण्टे और साप्ताहिक अवकाश घोषित किया गया. इस विजय के उपलक्ष्य में ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है. 

पूरे विश्व के सभी औद्योगिक प्रतिष्ठान, फैक्टरी, बैंक, कार्यालय अखबार आदि बंद होने लगे. पूरे विश्व के न्यायालय भी बंद रहते है, अपवाद स्वरूप भारत के न्यायालय खुले रहते हैं. इस दिन यह दुनिया के मजदूरों को सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है. हालांकि साहित्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी लिखते है कि दिवस कमजोरों का ही मनाया जाता है जैसे मजदूर दिवस, नारी दिवस, इंजीनियर दिवस डॉक्टर दिवस आदि लेकिन बलशाली का दिवस नहीं मनाया जाता है जैसे मालिक दिवस, दरोगा दिवस, गुंडा दिवस आदि??






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