पूजा-अर्चना प्रारंभ कर दी. महिलाओं ने नए वस्त्र के साथ संपूर्ण श्रृंगार कर वट वृक्षों में धागा लपेटा और नए हाथ पंखे का उपयोग किया. वट वृक्ष की पूजा के साथ-साथ उन्होंने फल-फूल और मिष्ठान भी अर्पित किया.
-बक्सर में अहले सुबह से ही वट वृक्ष की पूजा का सिलसिला शुरु
-सावित्री ने यमराज से वापस मांग लिए थे पति सत्यवान के प्राण
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले के विभिन्न इलाकों में सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की. उन्होंने अखंड सौभाग्य की कामना के साथ वट-सावित्री की धूमधाम से पूजा की. इस पूजा को लेकर महिलाएं अहले सुबह से ही वट वृक्ष के पास पहुंचने लगी और पूजा-अर्चना प्रारंभ कर दी. महिलाओं ने नए वस्त्र के साथ संपूर्ण श्रृंगार कर वट वृक्षों में धागा लपेटा और नए हाथ पंखे का उपयोग किया. वट वृक्ष की पूजा के साथ-साथ उन्होंने फल-फूल और मिष्ठान भी अर्पित किया.
मान्यता है कि वट-सावित्री व्रत करने से पति की आयु बढ़ती है और सुहाग अखंड रहता है. यह पर्व पति-पत्नी के बीच प्रेम और स्नेह का प्रतीक भी माना जाता है. वट सावित्री पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं है बल्कि यह महिलाओं को एक दूसरे से जोड़ने का भी माध्यम है. क्योंकि इस दौरान महिलाएं एक साथ समय बिताती हैं. और अपनी संस्कृति तथा परंपराओं को जीवित रखती हैं. यह उनके धार्मिक विश्वास को दर्शाने के साथ-साथ पारिवारिक जीवन में भी खुशहाली लाने का प्रतीक माना जाता है. भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की नगर अध्यक्ष कंचन देवी ने इस अवसर पर सभी सुहागिन महिलाओं को शुभकामनाएं दी.
महाभारत में वर्णित वट-सावित्री कथा के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु के पश्चात भी यमराज वापस अपने पति के प्राण मांग लिए थे. चूंकि यमराज ने वटवृक्ष के नीचे से ही सत्यवान के प्राण हरे थे. ऐसे में वटवृक्ष के समीप ही पूजन की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है.
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