विचार और आचरण में हो शुद्धता तभी होगी रामराज की स्थापना : पौराणिक जी

जब तक मानव मन छल, कपट, प्रपंच, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्याहीन होकर निर्मलता पूर्वक धर्म का आचरण व सत्य का सानिध्य प्राप्त नहीं करेगा तब तक अर्थ काम दोनों विशुद्ध नहीं होंगे. जब तक अर्थ एवं कम शुद्ध नहीं होंगे तब तक रामराज की परिकल्पना जाग्रत स्वप्न मात्र होगा एवं मोक्ष असंभव रहेग. 




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- नवदिवसीय श्री लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ एवं राम कथा का हुआ समापन
- काफी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु-भक्त, आस्था पूर्वक किया प्रसाद ग्रहण

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : "रामराज एक सपना है या सत्य अत्यंत विचारणीय प्रश्न है. क्या हम आज रामराज की स्थापना कर सकेंगे? रामराज की स्थापना सर्वप्रथम विचार की भूमि पर होती है. विचार में राम राज्य  सिद्ध हो जाए तब आचरण में राम राज्य का क्रियान्वयन संभव है जब आचरण राम राज्य से परिनिष्ठ हो जाए तब प्रवचन में रामराज होना चाहिए. तत्पश्चात जन सामान्य में राम राज्य की परिकल्पना साकार होगी अन्यथा रामराज स्वप्न मात्र ही रहेगी अथवा किताब के पन्नों में जैसा की है वैसा ही रहेगा. सर्वजन कल्याण सेवा समिति सिद्धाश्रम धाम बक्सर द्वारा आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह नवदिवसीय श्री राम कथा के नवम दिवस के प्रवचन के दौरान आचार्य कृष्णानन्द शास्त्री जी महाराज ने ये बातें कहीं.


उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में रावण का मन, हृदय में रावण की सोच एवं रावण का आचरण करने वाले कपट पारायण लोग राम जैसा प्रवचन करके रामराज की स्थापना करने की बात कह रहे हैं जो सर्वथा हास्यास्पद ही नहीं असंभव भी है. जिस मानव के जीवन में धन धर्म द्वारा नियंत्रित है तथा काम मोक्ष द्वारा वशीकरण है वही मानव आत्मा अर्थ को धर्म से, काम को मोक्ष से , स्ववश करके अपने अंत में रामराज की स्थापना कर सकेगा. इस घोर कलयुग में मानव समाज की सबसे बड़ी विडंबना है कि वह धन, पद एवं प्रतिष्ठा का गुलाम मात्र है. परिणामत: धर्महीन जीवन असीम कामनाओं के आवर्त में मोक्षहीन विचार के कारण नाना प्रकार के दुखों एवं शोकों से संतप्त होकर  बार-बार जन्म मरण की भयंकर भट्टी में तपता एवं जलता रहता है. जब तक मानव मन छल, कपट, प्रपंच, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्याहीन होकर निर्मलता पूर्वक धर्म का आचरण व सत्य का सानिध्य प्राप्त नहीं करेगा तब तक अर्थ काम दोनों विशुद्ध नहीं होंगे. जब तक अर्थ एवं कम शुद्ध नहीं होंगे तब तक रामराज की परिकल्पना जाग्रत स्वप्न मात्र होगा एवं मोक्ष असंभव रहेग. 

यदि संसार को राम राज्य चाहिए तो मानव समाज श्री राम के आदर्शों पर चलने का संकल्प करें क्योंकि रावण राज्य एवं राम राज्य दोनों को कारक मन हृदय आचरण एवं प्रवचन है. इसका मुख्य कारक अंत:करण चतुष्टय है. मन, बुद्धि ,चित एवं अहंकार . विशुद्ध अंत रस की भूमि में रामराज की सृष्टि होती है तथा अंतरस की मलीनता में रावण राज्य. हमें श्री राम के चरित्र से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि अंत: की शुद्धता के द्वारा अंत: की मलीनता को समाप्त करना ही राम के द्वारा रावण पर विजय और  राम के द्वारा रावण राज्य को समाप्त कर रामराज की प्रतिस्थापन है. यही है राम राज्य का रहस्य.

श्री राम राज्य व्यक्ति से प्रारंभ होता है ना कि समाज से आज व्यक्ति मात्र रावण राज्य की भूमिका को जीने लगा है यही कारण है कि राम राज्य संभवहीन है. 

सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित 16 वां धर्म आयोजन रविवार 30 जून 2024 को विशाल भंडारा, भोजन ग्रहण एवं प्रसाद वितरण के साथ पूर्ण हुआ. प्रातः काल 6:00 बजे से 9:00 बजे तक यज्ञ मंडप में 33 कोटी के देवी देवताओं का पूजन एवं हवन किया गया पुनः पूर्णाहुति प्रदान करके समिति के सदस्य एवं यजमानों द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी धर्म आयोजन को विश्व कल्याणार्थ पूर्ण किया गया. तत्पश्चात संत-महात्मा विद्वान समाज का बहुमान एवं प्रसाद ग्रहण संपन्न हुआ. दिन के 2:00 से 4:00 तक श्री राम राज्याभिषेक एवं श्री राम राज्य का भाव वर्णन द्वारा कथा हुई. कथा परांत श्री रामायण जी की आरती, व्यास गद्दी पूजन तथा विशाल भंडारा का कार्य प्रारंभ हुआ. 

विगत धर्म योजना की भांति इस वर्ष भी हजारों भक्त नर-नारी, साधु-संत, महाजन, महापुरुषों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया. देर रात तक भंडारा चलता रहा. श्रद्धा-भक्ति से लोग प्रसाद प्राप्त करते एवं ग्रहण करते रहे. समिति के अपने संकल्प अनुसार यह 16 वां महान धर्म आयोजन भी रविवार को पूर्ण हुआ.






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