वीडियो : आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बसपा ने जताया विरोध ..

कहा कि कई बार ऐसा हुआ है कि उच्च न्यायालय ने किसी विषय पर अपना फैसला सुनाया है. जिस पर सरकार के द्वारा अध्यादेश लाकर उसे बदल दिया गया है लेकिन इस मामले पर अभी तक सरकार क्यों चुप है, यह बात समझ में नहीं आ रही है. 


 



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- अनिल कुमार ने कहा सरकार के इशारे पर आया दलित विरोधी फैसला
- सरकार से कि अध्यादेश लाकर कानून को बदलने की अपील

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : आरक्षण पर 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले पर बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश प्रभारी सह बक्सर लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी अनिल कुमार ने अपना विरोध दर्ज किया है. उन्होंने कहा हमारी तथा पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती न्यायालय के हालिया फैसले से पूरी तरह असहमत है. शीर्ष अदालत ने इससे पहले 2004 में फैसला सुनाया था, तब उन्होंने उप वर्गीकरण की अनुमति नहीं दी थी. अब फैसला पलट दिया है. इससे दलित और पिछड़ों के उत्थान में काफी दिक्कत होगी. उन्होंने कहा कि न सिर्फ न्यायालय बल्कि केंद्र की भाजपा सरकार ने दलितों के साथ यह अन्याय किया है.

चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान ही इन बातों का जिक्र कर दिया था कि यदि हम चुनकर आएंगे तो दलितों के आरक्षण के वर्गीकरण के लिए कमेटी बनाएंगे यह कहीं ना कहीं सरकार के इशारे पर किया गया न्यायालय का फैसला है. उन्होंने कहा कि 1 अगस्त 2024 के फैसले में क्रीमी लेयर पर स्पष्ट नहीं किया गया कि किसे क्रीमी लेयर माना जाएगा और किसे नहीं. अगर उपवर्गीकरण हुआ तो कई पद खाली रह जायेंगे. अब राज्य मनमाने तरीके से कई जातियों को लाभ दे सकते हैं. जबकि कुछ को नकारा जा सकता है. यह पूरी तरह से असंवैधानिक है. एससी/एसटी को दिया जाने वाला आरक्षण ख़त्म होने का ख़तरा हमेशा बना रहेगा. इसका पूरा उद्देश्य सामाजिक उत्थान है, इसलिए जाति के आधार पर इसका बंटवारा गलत है. जिस उद्देश्य से बाबा अंबेडकर ने आरक्षण दिया था, वह अंत में  शक्तिहीन होकर रह जाएगा. भाजपा जैसे राजनीतिक दल हमेशा से एससी/एसटी आरक्षण के खिलाफ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा हुआ है कि उच्च न्यायालय ने किसी विषय पर अपना फैसला सुनाया है. जिस पर सरकार के द्वारा अध्यादेश लाकर उसे बदल दिया गया है लेकिन इस मामले पर अभी तक सरकार क्यों चुप है, यह बात समझ में नहीं आ रही है. कहीं ना कहीं यह सरकार का दलित विरोधी चेहरा उजागर कर रहा है. उन्होंने कहा कि वह सरकार से आग्रह करते हैं कि इस पर संज्ञान ले और इस फैसले को बदलने के लिए संसद में चर्चा की जाए.

बता दें कि उच्चतम न्यायालय के द्वारा अभी कुछ दिन पहले एसटी-एससी के आरक्षण के बंटवारे को लेकर फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एससी/एसटी आरक्षण के अंदर किसी एक जाति या कुछ जातियों को अलग से आरक्षण दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने बहुमत से यह फैसला दिया है, चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच ने 6:1 के बहुमत से 2004 के 'ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश' फैसले को पलट दिया.

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