शिक्षा के अधिकार की उड़ी धज्जियां तो विद्यालय संचालक के विरुद्ध दर्ज कराया परिवाद ..

जब भी वह विद्यालय में जाते तो गार्ड के द्वारा उन्हें गेट पर ही रोक दिया जाता और कहा जाता कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक के द्वारा उन्हें विद्यालय में प्रवेश करने से मना किया गया है. जब उन्होंने विद्यालय के प्राध्यापक से फोन पर बात की तो इस बात की पुष्टि भी हो गई और विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने साफ-साफ कह दिया कि उनकी पुत्री का नामांकन उनके यहां नहीं हो सकेगा.











- जिला मुख्यालय के फाउंडेशन स्कूल से जुड़ा है मामला
- बच्ची के नामांकन के लिए दर-दर की ठोकर कहा रहे पिता

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : एक तरफ जहां सरकार के द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सभी निजी विद्यालयों में 25% ऐसे बच्चों का नामांकन करना है. जिनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत ना हो. वहीं दूसरी तरफ विद्यालयों के संचालकों के द्वारा सरकार के इस नियम की खुलेआम अवहेलना की जा रही है. मामला नगर के प्रतिष्ठित फाउंडेशन स्कूल से जुड़ा हुआ है. जहां जिला मुख्यालय के मित्रलोक कॉलोनी निवासी कृष्ण मोहन ओझा ने अपनी बेटी का नामांकन करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन विद्यालय प्रबंधन के द्वारा ना तो बच्ची का नामांकन किया गया और ना ही उनके पिता के साथ उचित व्यवहार किया गया. ऐसे में उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी के साथ-साथ शिक्षा सचिव तक को पत्र लिखा, लेकिन इसके बाद भी काफी दिनों तक कार्रवाई नहीं होने पर हार-थक कर उन्होंने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत परिवाद दायर किया है.

मामले में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ज्ञानदीप पोर्टल के माध्यम से उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अपनी पुत्री के नामांकन के लिए फाउंडेशन स्कूल में आवेदन दिया था. आवेदन देने के बाद जब भी वह विद्यालय में जाते तो गार्ड के द्वारा उन्हें गेट पर ही रोक दिया जाता और कहा जाता कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक के द्वारा उन्हें विद्यालय में प्रवेश करने से मना किया गया है. जब उन्होंने विद्यालय के प्राध्यापक से फोन पर बात की तो इस बात की पुष्टि भी हो गई और विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने साफ-साफ कह दिया कि उनकी पुत्री का नामांकन उनके यहां नहीं हो सकेगा.

नहीं मिला है बकाया पैसा, ऐसे में एडमिशन लेना संभव नहीं - प्राचार्य :

फाउंडेशन स्कूल के प्रधानाध्यापक विकास ओझा बताते हैं कि उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 20% कमजोर आय वर्ग के परिवार के बच्चों का नामांकन पूर्व में भी लिया था, लेकिन शिक्षा विभाग के द्वारा पहले का बकाया लगभग 1 लाख 30 हज़ार रुपये उन्हें प्राप्त नहीं हुए ऐसे में वह बच्ची का नामांकन नहीं ले पाएंगे. उन्होंने पैसों के भुगतान के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में आवेदन दिया है. पैसे मिलने के बाद ही वह नामांकन के प्रति विचार कर पाएंगे. अगर बच्ची का नामांकन नहीं हो पा रहा तो इसके लिए वह कुछ भी नहीं कर सकते.

शिक्षा के अधिकार से वंचित करना उचित नहीं - जिला शिक्षा पदाधिकारी :

प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी मोहम्मद शारीक अशरफ बताते हैं कि फाउंडेशन स्कूल के द्वारा बकाया पैसों के भुगतान के लिए जो आवेदन दिया गया था. उसे राज्य मुख्यालय में अग्रसारित कर दिया गया है. सभी विद्यालयों को आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले 20% बच्चों का नामांकन अपने विद्यालय के कक्षा प्रथम में लेना है. अगर कोई विद्यालय ऐसा नहीं करता तो यह गलत है. किसी भी बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करना उचित नहीं है.

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