वीडियो : उत्पाद अधीक्षक को मिली जमानत, पुनः ग्रहण करेंगे पदभार ..

कहा कि उत्पाद अधीक्षक का कार्यकाल बेहद शानदार रहा है. उनके द्वारा लगातार शराब तस्करों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती रही है, जिसकी वजह से बक्सर के जिला पदाधिकारी एवं विभाग से भी उन्हें सराहना मिली है. 










- पटना उच्च न्यायालय से मिली राहत
- 18 अथवा 19 सितंबर को बक्सर में लेंगे नियमित जमानत

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : "शराब तस्करों से मिलीभगत का आरोप झेल रहे उत्पाद अधीक्षक को जमानत मिल गई है. पटना उच्च न्यायालय के जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह की अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है, जिसके बाद 18 अथवा 19 सितंबर को वह बक्सर व्यवहार न्यायालय में उपस्थित होंगे और नियमित जमानत लेंगे, तत्पश्चात पुनः पदभार ग्रहण करेंगे." यह जानकारी देते हुए उनके अधिवक्ता उमेश कुमार सिंह ने बताया कि उत्पाद अधीक्षक पर जो भी आरोप लगाए गए थे वह पूरी तरह से बबुनियाद थे और न्यायालय के फैसले के बाद यह साबित हो गया कि सत्य की हमेशा जीत होती है.

अधिवक्ता ने बताया कि उत्पाद अधीक्षक के विरुद्ध पुलिस के पास कोई ठोस साक्ष्य नहीं था ऐसे में न्यायालय ने यह पाया कि आरोप दुर्भावना से ग्रस्त होकर लगाए गए जिसके आधार पर उत्पाद अधीक्षक की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया गया. जल्द ही वह नियमित जमानत लेने के बाद पुनः अपना पदभार ग्रहण करेंगे.

अधिवक्ता ने बताया कि बक्सर के एक राजनीतिक दल के नेता के द्वारा उत्पाद अधीक्षक पर केवल इसलिए आरोप लगाए गए थे क्योंकि उन्होंने नेता की उन गाड़ियों को विभाग से निकलवा दिया था जो विभाग में किराए पर चला करती थी. उन्होंने कहा कि यह प्रमाण मिला था कि उन गाड़ियों के चालक तस्करों से मिले हुए हैं और शराब तस्करी में सहायता करते हैं.

बेहद शानदार रहा है कार्यकाल, मिली है सराहना 

अधिवक्ता ने यह भी कहा कि उत्पाद अधीक्षक का कार्यकाल बेहद शानदार रहा है. उनके द्वारा लगातार शराब तस्करों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती रही है, जिसकी वजह से बक्सर के जिला पदाधिकारी एवं विभाग से भी उन्हें सराहना मिली है. 

अधिवक्ता ने बताई तस्कर तथा होमगार्ड जवान से बात करने की वजह : 

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमसारी गांव निवासी मुन्ना सिंह नामक व्यक्ति से उनके बात किए जाने की बात को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया. मुन्ना सिंह ने उनसे इसलिए बात की थी क्योंकि मुन्ना सिंह के भाई का निधन शराब पीने से हो गया था और वह मुआवजा आदि मिलने की प्रक्रिया जानना चाहते थे. जबकि शराब तस्करी के आरोप में पकड़े गए होमगार्ड जवान के मोबाइल फोन में उनका नंबर होना अथवा उससे बातचीत होना भी यह प्रमाणित नहीं करता कि वह शराब तस्करी में शामिल थे, क्योंकि होमगार्ड जवान उनके अधीनस्थ था और वह उससे बात कर सकते थे.

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