लोगों ने अपनी आवश्यक वस्तुएं और मवेशी निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर लिया है. प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया जा रहा है, लेकिन राहत की कोई ठोस व्यवस्था अब तक नहीं की गई है.
- गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण छोटी नदियों पर भी बढ़ा दबाव
- आवश्यक वस्तुओं और मवेशियों को निकालकर सुरक्षित स्थान की तरफ पलायन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : गंगा में जलस्तर की लगातार वृद्धि के कारण आसपास की छोटी नदियों पर भी दबाव बढ़ गया है, जिसका परिणाम कर्मनाशा नदी के उफान के रूप में सामने आ रहा है. कर्मनाशा का पानी बढ़ने के कारण इसका दायरा भी बढ़ गया है, जिससे बनारपुर के रिहायशी इलाके में चार दर्जन से अधिक घरों में बाढ़ का पानी समा गया है. इसके अलावा, सिकरौल गांव का मुख्य संपर्क मार्ग पूरी तरह से कट गया है, जिससे गांव वासियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं.
सिकरौल गांव के लोग अब ऊंचे इलाकों में शरण ले रहे हैं, क्योंकि उनके घरों में बाढ़ का पानी भर गया है. लोगों ने अपनी आवश्यक वस्तुएं और मवेशी निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर लिया है. प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया जा रहा है, लेकिन राहत की कोई ठोस व्यवस्था अब तक नहीं की गई है.
बाढ़ के बढ़ते प्रभाव के कारण बनारपुर, सोनपा, रोहनिभान, और सिकरौल जैसे इलाकों के खेतों में पानी भर गया है, जिससे सैकड़ों एकड़ की फसलें डूब गई हैं. स्थानीय निवासी श्यामलाल चौधरी, अक्षयलाल, शुभदयाल चौधरी, नन्दकिशोर, मेडा, रामाशीष, जय प्रकाश, छेदी धोबी, मनौवर, अनवर धोबी, सोनू चौधरी, पुनिलाल, रामबली, रामशंकर और शंकर चौधरी का कहना है कि बाढ़ का पानी उनके घरों में घुस गया है और पड़ोसियों के घरों में शरण लेना पड़ा है. उन्होंने प्रशासन से तत्काल सहायता की मांग की है.
वर्तमान में बाढ़ का पानी सामुदायिक भवन और आंगनबाड़ी केंद्रों के परिसर में भी भरने लगा है. बीडीओ अशोक कुमार और प्रभारी सीओ शोभा कुमारी ने क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस राहत सामग्री या सहायता नहीं पहुंचाई गई है.
सिकरौल गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गया है और गांव के संपर्क मार्ग भी पानी में डूब चुके हैं. इसके बावजूद, गांव के लोग जोखिम उठाकर उसी मार्ग से आवागमन कर रहे हैं, जिससे उनकी जान को भी खतरा बना हुआ है. गांव के बाहर जलमग्न होने से खेतों में लगी धान की फसल और पशुओं का चारा भी डूब गया है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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