राष्ट्रीय एकता का प्रतीक और सांस्कृतिक विरासत की संजीवनी है हिन्दी : डीएम

कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्तमान डिजिटल युग तक, हिंदी ने विचारों, परंपराओं और संस्कृति के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अगर हम हिंदी से दूर हो जाएंगे, तो अपनी सांस्कृतिक पहचान को सही तरीके से नहीं समझ पाएंगे.











- हिन्दी दिवस के मौके पर जिला पदाधिकारी ने रखे विचार
- हिन्दी भाषा से युवाओं को जोड़ने की जताई आवश्यकता

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के समाहरणालय सभाकक्ष में हिंदी दिवस के अवसर पर भव्य समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम की शुरुआत जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर की. इस अवसर पर जिले के प्रख्यात साहित्यकार, गणमान्य व्यक्तियों और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति रही.

अपने उद्घाटन संबोधन में, जिला पदाधिकारी श्री अंशुल अग्रवाल ने हिंदी की महत्वता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भावनाओं और संस्कृतियों की अभिव्यक्ति का माध्यम है. यह भारत की राजभाषा होने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है. हिन्दी ने देश के विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया है. उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्तमान डिजिटल युग तक, हिंदी ने विचारों, परंपराओं और संस्कृति के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अगर हम हिंदी से दूर हो जाएंगे, तो अपनी सांस्कृतिक पहचान को सही तरीके से नहीं समझ पाएंगे. इसलिए, खासकर युवा पीढ़ी को हिंदी साहित्य से जोड़ना और उन्हें इसके जीवनदर्शी आदर्शों से परिचित कराना हमारी जिम्मेदारी है.

कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न पदाधिकारियों ने भी हिन्दी भाषा के महत्व पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि राजभाषा विभाग, बिहार सरकार द्वारा हिंदी में उन्नत लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी कर्मियों को सम्मानित किया जाएगा. इस पहल से पत्राचार की भाषा की गुणवत्ता में सुधार होगा और हिन्दी के प्रति सरकारी कर्मचारियों की रुचि बढ़ेगी.

समारोह में आए हुए गणमान्य व्यक्तियों ने हिन्दी भाषा के सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने हिन्दी के विकास और उसके प्रभाव को मान्यता दी और यह भी सुझाव दिया कि हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अधिक प्रयास किए जाएं.

यह कार्यक्रम हिन्दी की महत्वता और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. हिन्दी दिवस के इस अवसर पर आयोजित इस समारोह ने न केवल हिन्दी भाषा के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि उसकी एकता और संस्कृति को भी मजबूत करने का संदेश दिया.












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