विजयदशमी महोत्सव का हुआ भव्य शुभारंभ, शिव-पार्वती विवाह प्रसंग के साथ रामलीला की शुरुआत ..

ऐतिहासिक किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर बुधवार की देर शाम विजयादशमी महोत्सव का विधिवत शुभारंभ हो गया. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रीगणेश पूजन संपन्न हुआ और इसके साथ ही महोत्सव की शुरुआत की गई. 

यहां क्लिक कर बने भाजपा सदस्य :https://narendramodi.in/bjpsadasyata2024/OW54NX








- वैदिक मंत्रोच्चार व श्रीगणेश पूजन के साथ ही महोत्सव की शुरुआत 
- आजादी से पूर्व की परंपरा का हिस्सा रहा है महोत्सव 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : ऐतिहासिक किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर बुधवार की देर शाम विजयादशमी महोत्सव का विधिवत शुभारंभ हो गया. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रीगणेश पूजन संपन्न हुआ और इसके साथ ही महोत्सव की शुरुआत की गई. इस समारोह का उद्घाटन अहिरौली स्थित श्री वरदराज मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी मधुसूदनाचार्य जी महाराज ने किया. महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में विभिन्न प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें प्रमुख रूप से समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रामावतार पांडेय शामिल थे, जिन्होंने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. संचालन की जिम्मेदारी समिति के सचिव वैकुण्ठनाथ शर्मा और कोषाध्यक्ष ने संयुक्त रूप से निभाई.

कार्यक्रम में भाजपा नेता मिथिलेश तिवारी बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे. इसके अलावा जिले के विभिन्न सामाजिक, साहित्यिक और राजनीतिक क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख व्यक्तित्व भी इस मौके पर उपस्थित रहे. उद्घाटन समारोह के दौरान समिति के सचिव बैकुंठनाथ शर्मा ने मंच से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह महोत्सव आजादी से पूर्व की परंपरा का हिस्सा है और रामलीला की इस अद्वितीय संस्कृति को समिति ने सदैव भव्यता प्रदान करने का प्रयास किया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि यह परंपरा आने वाले वर्षों में भी इसी प्रकार कायम रहेगी. उद्घाटन के अवसर पर पीठाधीश्वर स्वामी मधुसूदनाचार्य जी ने महोत्सव की स्मारिका का भी विमोचन किया.

रामलीला की शुरुआत शिव विवाह प्रसंग से :

विजयदशमी महोत्सव के अवसर पर रामलीला की शुरुआत बेहद ही शानदार और पारंपरिक तरीके से की गई. वृंदावन के सुप्रसिद्ध श्री राधा माधव रासलीला एवं रामलीला मंडल के स्वामी श्री सुरेश उपाध्याय “व्यास जी” के निर्देशन में 21 दिवसीय रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. रामलीला का शुभारंभ शिव-पार्वती विवाह के पौराणिक प्रसंग से किया गया. इस प्रसंग में सती और भोलेनाथ के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं का मंचन किया गया.

पहले दिन गणेश पूजन और शिव विवाह प्रसंग का सुंदर मंचन हुआ, जिसमें सती और भोलेनाथ के बीच के संवाद और श्रीराम की परीक्षा लेने का प्रसंग प्रस्तुत किया गया. दृश्य में दर्शाया गया कि सती और शिव ऋषि अगस्त्य के आश्रम में श्रीराम कथा सुनते हैं. कथा के दौरान सती भ्रमित हो जाती हैं और श्रीराम की परीक्षा लेने जाती हैं, लेकिन भगवान श्रीराम उन्हें पहचान लेते हैं और भोलेनाथ के बारे में पूछते हैं. सती इस स्थिति में असहज हो जाती हैं और लज्जित होकर अपनी आंखें बंद कर लेती हैं, जिसके बाद उन्हें श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता का प्रतिबिंब दिखाई देता है.

इसके बाद सती भोलेनाथ से अपनी परीक्षा वाली बात छिपाने का प्रयास करती हैं, लेकिन भगवान शिव ध्यान लगाकर सभी घटनाओं को जान लेते हैं. इस घटना के बाद सती के पिता दक्ष एक यज्ञ का आयोजन करते हैं और भोलेनाथ को निमंत्रण नहीं भेजते. यह सुनकर माता सती बिना बुलाए ही अपने पिता के यज्ञ में पहुंचती हैं. वहां अपने पति का अपमान देखकर वे दुखी हो जाती हैं और यज्ञ कुण्ड में कूदकर अपने प्राण त्याग देती हैं. सती का पुनर्जन्म हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में होता है, और वे भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप करती हैं. अंततः पार्वती और शिव का विवाह संपन्न होता है, जिसका मंचन रामलीला में बहुत ही भव्य और सुंदर ढंग से किया गया.

इस अवसर पर जिले के कई प्रतिष्ठित समाजसेवी, साहित्यकार, व्यवसायी और राजनीतिक हस्तियां उपस्थित रहीं. रामलीला मंचन में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग को लेकर दर्शकों में विशेष उत्साह देखा गया. दर्शक मंत्रमुग्ध होकर इस अद्भुत मंचन को देख रहे थे. स्वामी सुरेश उपाध्याय "व्यास जी" के निर्देशन में कलाकारों ने इस पौराणिक प्रसंग को जीवंत कर दिया, जिससे माहौल भक्तिमय हो गया.

विजयदशमी महोत्सव के इस भव्य आयोजन ने न केवल बक्सर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर किया, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच रामलीला के प्रति एक गहरी श्रद्धा और उत्साह को भी बढ़ावा दिया.









Post a Comment

0 Comments