जिला परिषद सदस्यों ने उप विकास आयुक्त पर लगाया लोकतंत्र की हत्या का आरोप ..

कहा, "यह लोकतंत्र की सीधी-सीधी हत्या है. उप विकास आयुक्त ने जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद स्थापित करने की बजाय अपनी मनमानी शुरु कर दी है. बिहार सरकार से उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी, और अगर कार्रवाई नहीं होती, तो हम उनके कार्यालय पर ताला जड़ कर व्यापक आंदोलन छेड़ेंगे."


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- उप विकास आयुक्त के खिलाफ जिला परिषद के सदस्यों ने खोला मोर्चा 
- सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग, कार्यालय में ताला जड़ने की चेतावनी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले में उपविकास आयुक्त डॉ महेंद्र पाल के खिलाफ जिला परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है. नगर परिषद कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में जिला परिषद की अध्यक्ष सरोज देवी, सदस्य केदार यादव, धर्मेंद्र ठाकुर, सदस्य रिंकू यादव समेत कई ने डॉक्टर महेंद्र पाल पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करने और लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया.

प्रेस वार्ता के दौरान सदस्यों ने बताया कि ब्रह्मपुर प्रखंड के कांट भरखर गांव में जिला परिषद की निधि से बनने वाली सड़क के शिलान्यास कार्यक्रम में अध्यक्ष और स्थानीय जिला परिषद सदस्य के नाम शिलापट्ट पर अंकित होने के बावजूद उन्हें शिलान्यास के कार्यक्रम की कोई सूचना नहीं दी गई. ना तो उन्हें निमंत्रण भेजा गया और न ही किसी प्रकार की जानकारी साझा की गई. इस उपेक्षा से जनप्रतिनिधियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है.

जिला परिषद अध्यक्ष सरोज देवी  ने कहा : 

जिला परिषद की अध्यक्ष सरोज देवी ने उप विकास आयुक्त पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा, "यह लोकतंत्र की सीधी-सीधी हत्या है. उप विकास आयुक्त ने जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद स्थापित करने की बजाय अपनी मनमानी शुरु कर दी है. बिहार सरकार से उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी, और अगर कार्रवाई नहीं होती, तो हम उनके कार्यालय पर ताला जड़ कर व्यापक आंदोलन छेड़ेंगे."

विकास कार्यों में बाधा :

जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि रिंकू यादव ने भी उप विकास आयुक्त पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी लापरवाही के कारण जिले के विकास कार्य ठप पड़े हैं. जिला परिषद के डाक बंगला के भवन और दुकानों के निर्माण के लिए 15 करोड़ रुपये की योजना की राशि स्वीकृत होने के बावजूद जिले में कोई काम नहीं हो पाया और राशि वापस चली गई,रिंकू ने आरोप लगाया कि उप विकास आयुक्त केवल योजनाओं पर बातें करते हैं, पर काम नहीं करते. "ऐसे अधिकारियों को जनता सबक सिखाती है. 

डीडीसी के कारण हजारों लोग आज भी बेरोजगार :

जिला परिषद सदस्य केदार यादव ने कहा कि अगर फंड का सही उपयोग हुआ होता, तो बक्सर जिले में हजारों लोगों को रोजगार मिल गया होता. जिला परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि परमानंद यादव ने कहा कि बक्सर, चौसा, धनसोई तथा कोरान सराय में जिला परिषद की जमीन पर भवन निर्माण करते हुए दुकानों का निर्माण किया जाना था, जिससे कि हजारों लोगों को रोजगार मिलता लेकिन पता नहीं क्यों वर्षों से लंबित कई योजनाओं को अभी तक स्वीकृत नहीं मिली इसी बीच नई योजना की आनन-फानन में स्वीकृति और बिना जिला परिषद अध्यक्ष को बुलाए उनका नाम शिला पट्ट पर लिखते हुए किसी अनजान व्यक्ति से योजना का शिलान्यास करा दिया. शिला पट्ट पर स्थानीय जिला परिषद सदस्य का भी नाम था लेकिन उन्हें भी सूचना नहीं दी गई. 

मनरेगा में मचाई भारी लूट : 

जिला परिषद सदस्य धर्मेंद्र ठाकुर ने कहा की उप विकास आयुक्त भ्रष्टाचार को पोषित करते हैं. उनके द्वारा मनरेगा में भारी लूट मचाई गई है. इसका खुलासा पत्रकारों के द्वारा किया जा रहा है, जिसमें यह दिखाया जा रहा है कि गर्मी के दिनों में जाड़े की तस्वीर लगाकर भुगतान किया गया है. जिप सदस्य अरमान मलिक ने कहा कि उप विकास आयुक्त केवल कमीशनखोरी चंदा वसूली और यज्ञ करते हैं.  उन्हें संभवत: चुनाव आदि लड़ने की इच्छा है. जिप सदस्य प्रतिनिधि मनोज कुशवाहा ने इसे सरकार की साजिश बताया.

उप विकास आयुक्त ने कहा : 

वहीं, उपविकास आयुक्त डॉक्टर महेंद्र पाल ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि शिलान्यास कार्यक्रम के लिए निमंत्रण व्हाट्सएप और फोन के जरिए भेजा गया था, परंतु कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उन्होंने कहा कि सभी कार्य नियमानुसार किए जा रहे हैं और कोई मनमानी नहीं की गई है.

जनता में बढ़ता असंतोष : 

उपविकास आयुक्त के खिलाफ जनता में भी असंतोष बढ़ता जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि महेंद्र पाल पर भ्रष्टाचार और तानाशाही के आरोप लंबे समय से लगते आ रहे हैं.उनके कार्यों में पारदर्शिता की कमी और जनप्रतिनिधियों से संवादहीनता ने जनता का भरोसा खो दिया है. आंदोलन के चलते जिले में विकास कार्यों पर भी असर पड़ सकता है.

बहरहाल जिले में उपविकास आयुक्त और जिला परिषद के सदस्यों के बीच उत्पन्न यह विवाद स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है. यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह विवाद और भी गंभीर रूप ले सकता है, जिससे जिले में विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है.









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