अंकित द्विवेदी को मिला 'युवा दार्शनिक पुरस्कार'

इसके पहले अंकित ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की है. इन संस्थानों में उनकी पढ़ाई ने उनके विचारों को विकसित करने और उनके अकादमिक कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.












- बौद्ध धर्म पर शोध के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान
- 12 राज्यों के प्रतिभागियों को पीछे छोड़ बनाई विशेष पहचान
 
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के नदांव गांव के अंकित द्विवेदी को 'पंडित रामविलास मिश्र युवा दार्शनिक पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार उन्हें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के दर्शन परिषद के 20वें वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रदान किया गया. अवधेश प्रसाद सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित इस अधिवेशन में अंकित ने 12 राज्यों के प्रतिभागियों के बीच सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र प्रस्तुत कर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम किया.

अंकित द्विवेदी ने अपने शोधपत्र का विषय "वैश्विक शांति में बौद्ध धर्म की भूमिका" रखा था, जिसमें उन्होंने बौद्ध धर्म के विचारों और सिद्धांतों को वर्तमान वैश्विक समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया. उनके शोधपत्र में बौद्ध धर्म की शांति, करुणा, और अहिंसा की शिक्षा को वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण बताया गया है. इस पुरस्कार के चयन के लिए गठित समिति ने अंकित के शोध को अद्वितीय और प्रभावशाली माना, जिससे उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ.

अंकित का शोध और विचार :

अंकित द्विवेदी ने बताया कि उनके शोध का मुख्य उद्देश्य यह दिखाना था कि किस प्रकार बौद्ध धर्म की शिक्षाएं आज के युग में शांति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं. उन्होंने कहा, "विकसित भारत 2047" की संकल्पना को ध्यान में रखते हुए बौद्ध विचारधारा केवल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सकारात्मक संबंधों के निर्माण में सहायक हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि शांति और सद्भाव के सिद्धांत हर देश के विकास और स्थिरता के लिए अनिवार्य हैं, और बौद्ध धर्म इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

अकादमिक यात्रा और मार्गदर्शन :

अंकित की शिक्षा यात्रा भी बेहद प्रेरणादायक रही है. वर्तमान में वह नव नालंदा महाविहार (संस्कृति मंत्रालय) में बौद्ध अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार वर्मा के मार्गदर्शन में शोध कर रहे हैं. इसके पहले अंकित ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की है. इन संस्थानों में उनकी पढ़ाई ने उनके विचारों को विकसित करने और उनके अकादमिक कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

पुरस्कार की महत्ता :

पंडित रामविलास मिश्र युवा दार्शनिक पुरस्कार हर साल उन युवा शोधार्थियों को दिया जाता है, जो अपने विषय में न केवल उत्कृष्ट शोध कार्य करते हैं, बल्कि नए और प्रासंगिक विचारों को प्रस्तुत करते हैं. इस पुरस्कार के लिए देशभर से शोधार्थियों ने भाग लिया था, लेकिन अंकित द्विवेदी के शोध ने निर्णायक मंडल का ध्यान खींचा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ के रूप में चुना गया.

स्थानीय उत्साह और प्रतिक्रियाएं : 

अंकित की इस उपलब्धि से उनके गांव नदाँव में उत्साह की लहर है. स्थानीय लोग और समुदाय के प्रमुख व्यक्तित्वों ने अंकित की इस सफलता पर अपनी खुशी जाहिर की है. नदाँव के वार्ड पार्षद मंटु कुमार बबुआजी, भाजयुमो जिलाध्यक्ष सौरभ तिवारी, शिक्षक अभय दूबे और सामाजिक कार्यकर्ता जुल्फिकार अनवर ने अंकित को बधाई देते हुए कहा कि उनकी इस उपलब्धि से जिले का नाम रोशन हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि अंकित युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं और उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण से यह सफलता संभव हुई है.

भविष्य की योजनाएं :

अंकित ने बताया कि वह अपने शोध कार्य को और आगे बढ़ाने के साथ-साथ दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. उनका उद्देश्य न केवल बौद्ध धर्म पर और गहन शोध करना है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना भी है.








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