प्रतिमा विसर्जन के लिए बीडीओ ने चिह्नित किया सूखा पोखर, ग्रामीणों में आक्रोश ..

ग्रामीणों ने इस समस्या को प्रशासन के समक्ष पहले ही उठाया था, परंतु इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. जब दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन का समय आया, तो ग्रामीणों के समक्ष पानी की कमी के चलते कठिनाइयां खड़ी हो गईं. इसी के चलते ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. 











- प्रशासन द्वारा निर्धारित तालाब और नहर में पानी न होने से बढ़ी परेशानी
- बीडीओ ने वैकल्पिक स्थल की पेशकश की, ग्रामीणों ने जताई असुविधा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सदर प्रखंड के कई गांवों में दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन को लेकर संकट उत्पन्न हो गया है, क्योंकि प्रशासन द्वारा निर्धारित किए गए तालाब और नहरों में पानी नहीं है. ग्रामीणों ने इस समस्या को प्रशासन के समक्ष पहले ही उठाया था, परंतु इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. जब दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन का समय आया, तो ग्रामीणों के समक्ष पानी की कमी के चलते कठिनाइयां खड़ी हो गईं. इसी के चलते ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. बाद में बीडीयो ने मौके पर पहुंच ग्रामीणों को समझाया-बुझाया.

नदांव गांव के समाजसेवी मंटू कुमार बबुआ, अंकित द्विवेदी व पृथ्वी नाथ सिंह ने बताया कि नदांव के ऐतिहासिक नारदेश्वर पोखर में पानी नहीं होने की समस्या की जानकारी पहले ही उप विकास आयुक्त और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई थी. बावजूद इसके, प्रशासन ने इस समस्या का समाधान नहीं किया और सूखे पोखर और नहरों को ही विसर्जन स्थल के रूप में चिह्नित कर दिया. ग्रामीणों का सवाल है कि बिना स्थल निरीक्षण के ऐसी जगहों को सूची में शामिल करना किसकी जिम्मेदारी है?

बीडीओ ने किया वैकल्पिक समाधान का सुझाव :

जैसे ही ग्रामीणों में आक्रोश की खबर प्रशासन तक पहुंची, प्रखंड विकास पदाधिकारी साधु शरण पांडेय मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया. उन्होंने बताया कि नदांव पोखर में पानी रुकता नहीं है, और इसे भरने के लिए पोखर की  तीन फीट खुदाई करने के बाद ही पानी भरना होगा, जिसमें दो-तीन महीने लग सकते हैं. फिलहाल, उन्होंने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे सोनवर्षा, दलसागर, छोटकी बसौली के तालाबों में या फिर बक्सर नगर के चरित्रवन इलाके में गंगा किनारे बने कृत्रिम पोखर में प्रतिमा विसर्जन करें.

ग्रामीणों की असुविधा और छठ पर्व की चिंता :

ग्रामीणों ने बीडीओ के सुझाव को कष्टप्रद बताते हुए कहा कि दूरस्थ स्थानों तक जाकर प्रतिमा विसर्जन करना उनके लिए असुविधाजनक होगा. पूजा समितियों को पहले ही नदांव पोखर और नहर में विसर्जन के निर्देश दिए गए थे, परंतु अब उन्हें दूर जाने के लिए कहा जा रहा है. इसके अलावा, आगामी छठ पर्व को लेकर भी ग्रामीण चिंतित हैं, क्योंकि इस त्योहार में भी पानी की उपलब्धता महत्वपूर्ण होती है. ग्रामीणों ने प्रशासन से इस संकट का जल्द समाधान निकालने की मांग की है, ताकि आने वाले त्योहारों में और परेशानियां न हों.

प्रशासन को उठाने होंगे ठोस कदम :

इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बिना स्थल निरीक्षण के विसर्जन स्थलों की सूची जारी करना प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है. ग्रामीणों का आक्रोश इस बात की ओर इशारा करता है कि अगर जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और बढ़ सकती है. छठ पर्व के पहले प्रशासन को इस मुद्दे को हल करने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े.








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