बिहार के विकास में अपराधीकरण एक बड़ी बाधा : जेएनयू में विचार गोष्ठी

कहा कि बिहार ने अपने गौरवशाली इतिहास और वर्तमान विकास के बीच कई कठिनाइयों का सामना किया है. उन्होंने बिहार के स्वर्णिम भविष्य के लिए आधुनिक कृषि, पर्यटन, रोजगार, शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया. 

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- वाल्मिकी विचारमंच द्वारा बिहार के विकास और अपराधीकरण पर चर्चा
- विशेषज्ञों ने बिहार के सुनहरे भविष्य के लिए सुधारों पर जोर दिया

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : देश की राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 30 सितंबर 2024 को वाल्मिकी विचारमंच द्वारा "बिहार के विकास में बाधक रहा उसका अपराधीकरण" विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस आयोजन के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA) के अध्यक्ष राम बहादुर राय थे. साथ ही, विशेष अतिथियों में पूर्व आई आर एस अधिकारी बिनोद चौबे और डीडी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव शामिल थे. इस चर्चा में लेखक मृत्युंजय शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिन्होंने अपनी पुस्तक Broken Promises: Caste, Crime and Politics in Bihar में बिहार के राजनीतिक परिदृश्य और अपराधीकरण के विषय में विस्तार से चर्चा की है.

चर्चा के दौरान यह बताया गया कि किस प्रकार लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में नब्बे के दशक में बिहार में "जंगलराज" कायम था, जहाँ प्रशासन, सरकार और अपराधियों के बीच गहरी मिलीभगत देखने को मिली. इस दौर की हृदय विदारक घटनाओं का पुस्तक में वर्णन किया गया है.

गोष्ठी में उपस्थित बिनोद चौबे ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि बिहार ने अपने गौरवशाली इतिहास और वर्तमान विकास के बीच कई कठिनाइयों का सामना किया है. उन्होंने बिहार के स्वर्णिम भविष्य के लिए आधुनिक कृषि, पर्यटन, रोजगार, शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया. चर्चा में यह भी बताया गया कि बिहार की उन्नति के लिए अपराधीकरण और "जंगलराज" के प्रभावों का उन्मूलन आवश्यक है.









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