नव दुर्गा धाम से निकली भव्य शोभायात्रा के साथ नवरात्रि के पहले दिन रामरेखा घाट पर हजारों श्रद्धालु गंगा जल लेने पहुंचे. इस शोभायात्रा में महिलाओं ने कलश स्थापना के लिए भाग लिया. हालांकि, श्रद्धालुओं ने घाट पर फैली गंदगी को लेकर नाराज़गी जताई और इसे नरक में तब्दील होने की शिकायत की.
- नवरात्रि के पहले दिन रामरेखा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़
- कलश यात्रा का आयोजन, घाट की गंदगी पर नाराज़गी
- भक्तिमय माहौल के साथ गंगा में स्नान और कलश स्थापना
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : बक्सर में नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि-विधान से की गई. इस दौरान विभिन्न पूजा पंडालों के साथ-साथ मंदिरों एवं लोगों ने अपने घरों में भी कलश स्थापना की. महाशक्ति कालरात्रि नव दुर्गा धाम से निकली भव्य शोभायात्रा के साथ नवरात्रि के पहले दिन रामरेखा घाट पर हजारों श्रद्धालु गंगा जल लेने पहुंचे. इस शोभायात्रा में महिलाओं ने कलश स्थापना के लिए भाग लिया. हालांकि, श्रद्धालुओं ने घाट पर फैली गंदगी को लेकर नाराज़गी जताई और इसे नरक में तब्दील होने की शिकायत की.
यह भव्य कलश यात्रा पुलिस लाइन स्थित नवदुर्गा कालरात्रि मंदिर से प्रारंभ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. यह यात्रा शहर के विभिन्न प्रमुख स्थलों से होकर मंदिर तक पहुँची. कलश स्थापना वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. इसके बाद श्रद्धालुओं ने देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की विधिवत पूजा की.
कलश यात्रा का आयोजन :
इस साल की यात्रा में श्रद्धालु घोड़े, ऊंट और ढोल-नगाड़ों के साथ झूमते हुए मंदिर पहुँचे. व्रतधारी अमित माली, जो पिछले 12 वर्षों से यात्रा में भाग ले रहे हैं, ने बताया कि बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा दूर-दराज से भी भक्त यहाँ आते हैं. कलश स्थापना के साथ 9 दिनों तक पूजा-पाठ और भंडारे की व्यवस्था की जाती है, जो नवरात्रि के अंतिम दिन तक चलेगी. अंतिम दिन 1008 कन्याओं का पूजन और आंवला वृक्ष के साथ चुनरी भेंट की जाएगी.
अत्यंत शुभ माना जाता है कन्या पूजन :
मंदिर के महंथ द्वारिका दास जी महाराज ने बताया कि नवमी के दिन भव्य कन्या पूजन और भंडारे का आयोजन होता है. शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में कन्या पूजन अत्यंत शुभ माना जाता है, और श्रद्धालु कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं.
इस बार पालकी पर आ रही माता :
इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आयी हैं. माता का आगमन पालकी या डोली में होगा अशुभ माना जाता है. ऐसे में अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी, देश-दुनिया में महामारी, हिंसा के बढ़ने और अप्राकृतिक घटना के संकेत मिलते हैं. साथ ही माता रानी के प्रस्थान की सवारी चरणायुद्ध (मुर्गा) होगी, जिसे शुभ संकेत बिलकुल नहीं माना जाता है. माता के इस वाहन को अमंगलकारी माना गया है. ये शोक, कष्ट का संकेत है.
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