न्यायालय में बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता को हार्ट अटैक, अस्पताल पहुंचने से पूर्व ही तोड़ा दम

इस अप्रत्याशित घटना को देख न्यायाधीश ने तुरंत चिकित्सकीय सहायता का निर्देश दिया. न्यायालय में तैनात चिकित्सक ने प्रारंभिक उपचार करते हुए उन्हें सीपीआर भी दिया, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.







                                                                   






- पिछले 40 वर्षों से विधि-व्यवसाय में शामिल थे सुरेंद्र तिवारी
- अधिवक्ता संघ ने की मंगलवार को न्यायालय में नो वर्क की घोषणा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र तिवारी का आज न्यायालय में बहस के दौरान अचानक हृदयाघात से निधन हो गया. इस दुखद घटना से न्यायालय परिसर में शोक की लहर फैल गई. अधिवक्ताओं सुरेंद्र तिवारी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया.

घटना के संदर्भ में न्यायिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 66 वर्षीय सुरेंद्र तिवारी, जो बभनी गांव के निवासी थे, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दशम राकेश कुमार राकेश के न्यायालय में दिन में 11:35 बजे अपने एक केस की बहस कर रहे थे. बहस के दौरान ही वे अचानक बेहोश होकर न्यायालय में गिर पड़े. इस अप्रत्याशित घटना को देख न्यायाधीश ने तुरंत चिकित्सकीय सहायता का निर्देश दिया. न्यायालय में तैनात चिकित्सक ने प्रारंभिक उपचार करते हुए उन्हें सीपीआर भी दिया, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.

स्थिति गंभीर होते देख न्यायालय कर्मियों ने उन्हें न्यायाधीश की निजी कार से सदर अस्पताल, बक्सर पहुंचाया. अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

विधि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान :

सुरेंद्र तिवारी वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन तिवारी के भतीजे थे. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. वह पिछले 40 वर्षों से बक्सर न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे थे. वेद, अद्वैत और धर्म पर गहरी रुचि रखने वाले श्री तिवारी न्यायालय में अक्सर इन विषयों पर चर्चा करते थे.

उनके निधन से न्यायालय के सभी न्यायाधीश, अधिवक्ता और कर्मचारियों ने गहरा शोक व्यक्त किया. जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव बिंदेश्वरी प्रसाद पांडेय ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. साथ ही कहा कि शोकग्रस्त अधिवक्ता बुधवार को न्यायिक कार्यों से विरत रहेंगे. न्यायालय में नो-वर्क की घोषणा कर दी गई है.








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