इस बार धोती पहने दिखेगा रावण, दस सिरों से होगी कोल्ड फायर ..

रावण के पुतले में एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. पहली बार रावण के दस सिर और मुकुट से कोल्ड फायर की जाएगी. यह फायर इलेक्ट्रिक शॉर्ट के जरिए होगी, जिसमें एक मिनट तक आग के फव्वारे निकलेंगे. 









- मिश्रवलिया में बनाये जा रहे रावण के साथ अन्य पुतले
- इस बार के रावण दहन को अनोखा बनाने की तैयारी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : इस वर्ष जिले के दशहरे में एक अनोखा बदलाव देखने को मिलेगा. पहली बार यहां रावण के दस सिरों और मुकुट से कोल्ड फायर की जाएगी, जो एक रोमांचक और नया अनुभव होगा. रावण के साथ ही मेघनाद के पुतले का निर्माण जिले के मिश्रवलिया निवासी जितेंद्र शर्मा द्वारा किया जा रहा है, जो पेशे से एसी मैकेनिक हैं. जितेंद्र ने इस बार रावण को पारंपरिक परिधान धोती में दिखाने का नया प्रयोग किया है, जिससे दशहरे के आयोजन को नई पहचान मिलेगी.

इस वर्ष नगर के किला मैदान में आयोजित होने वाले दशहरे में जितेंद्र शर्मा द्वारा बनाए गए रावण के पुतले में एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. पहली बार रावण के दस सिर और मुकुट से कोल्ड फायर की जाएगी. यह फायर इलेक्ट्रिक शॉर्ट के जरिए होगी, जिसमें एक मिनट तक आग के फव्वारे निकलेंगे. यह तकनीक आमतौर पर शादी समारोहों में दूल्हा-दुल्हन की एंट्री के समय उपयोग में लाई जाती है. इस फायर के बाद रावण दहन की प्रक्रिया शुरू होगी, जिससे इस बार का रावण दहन और भी रोमांचक बनेगा.

पुतलों की ऊंचाई में किया गया बदलाव :

हर साल बक्सर के किला मैदान में रावण और मेघनाद के बड़े पुतले जलाए जाते हैं. इस बार रावण की ऊंचाई 45 फीट और मेघनाद की 40 फीट रखी गई है, जो पिछले वर्षों के मुकाबले पांच फीट कम है. जितेंद्र ने बताया कि बड़ी ऊंचाई वाले पुतलों को खड़ा करने में कठिनाई होती है, और क्रेन की अनुपलब्धता के कारण पुतले को सही ढंग से खड़ा करने में समस्या होती है. इसलिए इस बार ऊंचाई कम की गई है, ताकि प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके.

निर्माण में पूरे परिवार का सहयोग और मेहनत : 

रावण का पुतला बनाने में जितेंद्र के परिवार का विशेष सहयोग है. उन्होंने बताया कि इस काम के लिए वे अपने एसी सर्विस के काम से एक महीने का समय निकालते हैं. जितेंद्र के साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी इस कार्य में हाथ बंटाते हैं. पुतला खड़ा करने के दिन आठ लोगों की टीम साथ काम करती है, जिन्हें प्रति व्यक्ति एक हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. इस सामूहिक प्रयास से रावण के पुतले का निर्माण सफलतापूर्वक होता है.

रावण के हाथ में होगा धनुष : 

इस बार रावण का पुतला पिछले वर्षों से थोड़ा अलग होगा. रावण के हाथ में तलवार की बजाय धनुष होगा, जिससे रामलीला के दृश्य और भी जीवंत हो जाएंगे. रावण और राम के बीच होने वाले युद्ध के इस दृश्य में धनुष का प्रयोग इसे और खास बनाएगा. इसके साथ ही मेघनाद का पुतला भी अनोखे रूप में तैयार किया गया है, जिसे दिल्ली के मॉडल पर आधारित बनाया गया है.

20 हज़ार रुपये की लागत से बन रहा रावण का पुतला : 

जितेंद्र ने बताया कि पुतले बनाने में 26 बांस, 2 किलो जूट के धागे, 3 किलो लोहे के तार, 15 किलो कागज और 90 मीटर कपड़े का इस्तेमाल किया गया है. रावण का सबसे बड़ा पुतला 20,000 रुपये की लागत से तैयार हुआ है, जबकि अन्य पुतलों की लागत 5,000 से 8,000 रुपये तक रही. पटाखों की व्यवस्था रामलीला कमेटी द्वारा की जाएगी, जिससे दहन और भी भव्य बनेगा.




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