बताया कि गांधीजी का जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और सत्य के मार्ग पर चलते हुए भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. चंपारण आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि यह गांधीजी के नेतृत्व का एक ऐतिहासिक उदाहरण है, जिसने भारत की आजादी की नींव रखी.
- गांधी और शास्त्री जयंती पर मानवाधिकार शाहाबाद क्षेत्र के द्वारा आयोजित हुआ कार्यक्रम
- महापुरुषों की सादगी और सेवा पर विचार, लोगों को दी गई प्रेरणा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन, शाहाबाद क्षेत्र के सदस्यों ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया. इस अवसर पर बिहार प्रांत के प्रदेश सचिव, डॉ. दिलशाद आलम ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से प्रेरणा लेने और उनके पदचिह्नों पर चलने की बात कही.
डॉ. आलम ने गांधीजी की सादगी और उनके सत्याग्रह आंदोलन को याद करते हुए कहा कि महात्मा गांधी मजबूरी का नहीं, बल्कि मजबूती का नाम है. उन्होंने बताया कि गांधीजी का जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और सत्य के मार्ग पर चलते हुए भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. चंपारण आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि यह गांधीजी के नेतृत्व का एक ऐतिहासिक उदाहरण है, जिसने भारत की आजादी की नींव रखी.
लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए, डॉ. आलम ने कहा कि प्रधानमंत्री रहते हुए शास्त्रीजी ने देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किए. उनकी सादगी भरी जिंदगी और 'जय जवान, जय किसान' का नारा आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है.
महापुरुषों से प्रेरणा :
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सदस्यों ने भी महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला. निजामुद्दीन खान ने कहा कि उनकी जिंदगी में इन दोनों महापुरुषों का विशेष महत्व रहा है. उन्होंने अपने 35 साल की सेवा में महात्मा गांधी और शास्त्रीजी के आदर्शों का पालन किया है. अरुणाचल प्रदेश की कठिन पहाड़ियों में 24 घंटे ड्यूटी कर, उन्होंने इन महान नेताओं से सीखी हुई सादगी और सेवा की भावना को अपने जीवन में उतारा.
नासिर हुसैन, अंगद मनीष कुमार, इम्तियाज अंसारी, सनम बहादुर, पिंटू चौरसिया, मंटू श्रीवास्तव, अजय कुमार पांडे, अर्चना और रुखसाना मीणा ने भी अपने विचार व्यक्त किए और महापुरुषों को श्रद्धांजलि दी.
महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को माल्यार्पण :
कार्यक्रम के बाद कमलदह पोखरा पर डॉ. दिलशाद आलम और उनके साथियों ने महात्मा गांधी के चरणों में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. डॉ. आलम ने कहा, "महात्मा गांधी एक महान पुरुष ही नहीं, बल्कि एक विचार हैं. उनके विचारों को अपनाकर हम अपनी जिंदगी में नई ऊर्जा ला सकते हैं."
साबित खिदमत अस्पताल के निदेशक ने महात्मा गांधी के इंग्लैंड जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई करने, दक्षिण अफ्रीका में गोरे और काले के भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने और भारत में अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का जिक्र किया.
लाल बहादुर शास्त्री की सादगी की मिसाल देते हुए उन्होंने बताया कि शास्त्रीजी अपने मासिक वेतन का 10 रुपये सैनिकों के लिए दान कर दिया करते थे. इस प्रकार, इन महापुरुषों की सादगी और सेवा भावना को सलाम किया गया.
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