अचानक तबीयत खराब होने पर इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. बीमा लाभ के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बावजूद, एलआइसी ने दावा खारिज करते हुए आरोप लगाया कि उनकी पत्नी पहले से कैंसर से पीड़ित थीं और यह तथ्य छुपाकर पॉलिसी ली गई थी.
- जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को पाया सेवा में त्रुटि का दोषी
- अधिवक्ता ने अतिरिक्त राशि के लिए एक्जीक्यूशन केस दाखिल करने की बात कही
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला उपभोक्ता न्यायालय के द्वारा बीमा कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए परिवादी को 5 लाख 52 हज़ार 960 रुपये का चेक दिलाया, जो भारतीय जीवन बीमा निगम ने जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले के अनुपालन में जमा किया था. दरअसल, एलआइसी द्वारा दावा खारिज किए जाने के बाद आयोग ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया.
परिवादी संतोष कुमार ने अपनी पत्नी इंद्रावती देवी के लिए बीमा पॉलिसी ली थी. अचानक तबीयत खराब होने पर इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. बीमा लाभ के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बावजूद, एलआइसी ने दावा खारिज करते हुए आरोप लगाया कि उनकी पत्नी पहले से कैंसर से पीड़ित थीं और यह तथ्य छुपाकर पॉलिसी ली गई थी.
दावे के निरस्त होने पर संतोष कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दाखिल किया. आयोग ने सुनवाई के बाद एलआइसी की सेवा में त्रुटि मानते हुए परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया और बीमा कंपनी को मुआवजा देने का आदेश दिया.
कहते हैं अधिवक्ता
परिवादी के अधिवक्ता विष्णुदत्त द्विवेदी ने बताया कि बीमा कंपनी द्वारा आदेश के अनुसार पूरी राशि का भुगतान नहीं किया गया है. आदेश के तहत दो महीने के भीतर भुगतान न करने पर 8% वार्षिक ब्याज के साथ राशि का भुगतान करना था. इसके अलावा, क्षतिपूर्ति के लिए 25,000 रुपये और वाद खर्च के लिए 2,000 रुपये का भी भुगतान करना था, जो अभी लंबित है.
अधिवक्ता ने कहा कि एलआइसी के खिलाफ आदेश का पूरा पालन सुनिश्चित कराने के लिए एक्जीक्यूशन केस दाखिल किया जाएगा.
0 Comments