साक्ष्यों के साथ शिकायत दर्ज कराई. इसके बावजूद, पदाधिकारी ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित कराना है तो अदालत का रुख करें.
- डिफाल्टर घोषित व्यक्ति की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग
- सिमरी प्रखंड के कठार पैक्स का है मामला
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सिमरी प्रखंड में पैक्स निर्वाचन के दौरान नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है. प्रखंड विकास पदाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी ने कठार पैक्स के अध्यक्ष पद के लिए डिफॉल्टर घोषित उम्मीदवार विशंभर राय को चुनाव लड़ने का सिंबल दे दिया. इस पर निवर्तमान अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह ने जिला पदाधिकारी, सहकारिता पदाधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारियों को शिकायत देकर विशंभर राय की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है.
शिकायत में नीरज कुमार सिंह ने बताया कि पैक्स निर्वाचन नियमावली के अनुसार, किसी भी वित्तीय मामले में डिफॉल्टर व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होता. विशंभर राय, जो पूर्व में कठार पैक्स के अध्यक्ष थे, पर कार्यकाल के दौरान 2 लाख 23 हज़ार 140 रुपये के गबन का आरोप है. यह मामला ऑडिट में उजागर हुआ था और इसके बाद संयुक्त निबंधक सहयोग समितियां, पटना प्रमंडल ने उनके खिलाफ रिकवरी का आदेश दिया था.
मनमानी का आरोप :
नीरज कुमार सिंह ने स्क्रूटनी के दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी से इस मुद्दे को उठाया और साक्ष्यों के साथ शिकायत दर्ज कराई. इसके बावजूद, पदाधिकारी ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित कराना है तो अदालत का रुख करें.
नीरज कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि प्रखंड विकास पदाधिकारी ने मनमानी करते हुए विशंभर राय को चुनाव लड़ने का अधिकार दे दिया, जो स्पष्ट रूप से नियमावली के खिलाफ है.
जिलाधिकारी से संपर्क और अपील :
नीरज ने बताया कि जिलाधिकारी, बक्सर से फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने आश्वासन दिया कि चुनाव में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं होने दी जाएगी. इसके बावजूद, विशंभर राय को सिंबल दिया गया। ऐसे में बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकरण के सचिव को आवेदन देकर पूरे मामले में हस्तक्षेप करने और न्याय दिलाने की अपील की गयी है.
कहते हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी :
मामले में सिमरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी शशिकांत शर्मा ने बताया कि मामले में समय बीत जाने के बाद शिकायत मिली. ऐसे में अब यहां से कुछ नहीं किया जा सकता. राज्य प्राधिकार से ही मामले में कार्रवाई हो सकेगी.
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