उपचुनाव में एनडीए की जीत से महागठबंधन के भविष्य पर प्रश्न चिह्न

जन-सुराज के प्रत्याशी सभी उपचुनाव में तीसरे और चौथे नंबर पर दिख रहे हैं. लेकिन, जानकार लोगों का यह भी कहना है कि जन सुराज को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह नहीं बल्कि पारंपरिक पार्टी की तरह की तरह कार्य करना होगा तथा सोशल मीडिया से आगे बढ़कर जनता के बीच गहरी पैठ बनानी होगी.







                                            




- बिहार में नहीं काम होता दिख रहा नीतीश कुमार का मैजिक
- जन-सुराज के प्रति नहीं जागा जनता का भरोसा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : बिहार विधानसभा उपचुनाव में तस्वीर अब साफ हो गई है. एनडीए ने जहां चारों सीटों पर अपनी जीत पक्की कर ली वहीं महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया. ऐसे में कहीं ना कहीं यह परिणाम आगामी 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर भी स्थिति साफ कर चुका है और अब महागठबंधन के भविष्य पर भी प्रश्न चिह्न लग गया है.
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एनडीए के सहारे ही जहां हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के संस्थापक तथा केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पुत्रवधू दीपा मांझी चुनाव जीत चुकी है वही बाहुबली एमएलसी सुनील पांडेय के पुत्र जेडीयू नेता विशाल प्रशांत ने भी जीत हासिल कर ली है अन्य दोनों सीटों पर भी एनडीए के प्रत्याशी जीते हैं. बेलागंज में जेडीयू की मनोरमा देवी जीती हैं और रामगढ़ में भाजपा के अशोक कुमार सिंह की जीत हुई है. इन जीतों के बाद एनडीए यह मान रही है कि बिहार में नीतीश कुमार का जादू अभी कम नहीं हुआ है. हालांकि चुनावी विशेषज्ञ बताते हैं कि चुनाव के बाद भले ही एनडीए फील गुड में हो लेकिन उसे आगामी चुनाव में जनता की मनोभावना को समझते हुए तैयारी करनी होगी और रणनीतिबद्ध तरीके से अभी से ही तैयारी शुरू कर देनी होगी. क्योंकि नजदीकी प्रत्याशी को भी बेहतर वोट मिले हैं.

इस चुनाव में एक बात और देखने को मिली कि प्रशांत किशोर ने जिस तरह से जन सुराज को लेकर उम्मीद जताई थी वह उम्मीद बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ हद तक पूरी होती दिखाई दे रही है. क्योंकि जन-सुराज के प्रत्याशी सभी उपचुनाव में तीसरे और चौथे नंबर पर दिख रहे हैं. लेकिन, जानकार लोगों का यह भी कहना है कि जन सुराज को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह नहीं बल्कि पारंपरिक पार्टी की तरह की तरह कार्य करना होगा तथा सोशल मीडिया से आगे बढ़कर जनता के बीच गहरी पैठ बनानी होगी.

एम वाई समीकरण को भुनाने में नाकाम रही राजद

रामगढ़ चुनाव के बाद यह बात साफ हो रही है कि मुस्लिम और यादव समीकरण को राजद अब भुलाने में कामयाब नहीं हो पा रही है. श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष तथा आकाशवाणी के वरिष्ठ पत्रकार डॉ शशांक शेखर का कहना है कि लालू प्रसाद यादव की विरासत को तेजस्वी संभाल नहीं पा रहे.

राजपूत वोटरों को नहीं लुभा पाई राजद :

ईटीवी के पत्रकार उमेश पांडेय का कहना है कि राष्ट्रीय जनता दल राजपूत वोटरों को लुभा नहीं पाई, जबकि बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह जीत के बाद से ही लगातार राजपूत संगठनों के कार्यक्रमों में बढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

परिवारवाद की रही गूंज

दैनिक भास्कर के पत्रकार धीरज वर्मा ने कहा कि पूरे चुनाव में परिवारवाद की गूंज रही हालांकि अन्य सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी भी कहीं ना कहीं परिवारवाद को पोषित करते दिखे, लेकिन रामगढ़ की जनता के बीच इस बात को विपक्षियों ने काफी मजबूती से रखा जिसने राजद को नुकसान पहुंचाया.

यादव प्रत्याशी की वजह से बीएसपी को मिला लाभ

जनमित्र के विमल कुमार सिंह ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने भी काफी मजबूती दिखाई है और वह जीत के बेहद करीब पहुंच गई इसे देखते हुए यह भी माना जा सकता है कि यादव समाज से आने वाले प्रत्याशी की वजह से राष्ट्रीय जनता दल के वोटरों बहुजन समाज पार्टी का साथ दिया.

विकास को लेकर एनडीए पर जताया जनता ने भरोसा :

इंडिया न्यूज़ के पत्रकार गुलशन सिंह राजपूत ने कहा कि विकास को लेकर जनता ने एनडीए पर भरोसा जताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को बुलाने में एनडीए के प्रत्याशी कामयाब रहे हैं. यही चुनाव परिणाम कहीं ना कहीं 2025 विधानसभा चुनाव पर भी असर डालेगा.









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