भारतीय प्रवासियों ने इस महापर्व को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाना शुरू कर दिया है. नहाय-खाय के साथ इस महापर्व के अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है, और इसमें भारतीय संस्कृति की गहरी छाप भी देखने को मिल रही है.
खरना का प्रसाद ग्रहण करती भारती तिवारी व अन्य(पिछले वर्ष की तस्वीर) |
- विदेश की धरती पर दिख रही भारतीय संस्कृति की झलक
- प्रवासी भारतीयों की सहभागिता से पेन्सिलवेनिया में धूमधाम से मनाया जा रहा छठ
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : छठ महापर्व की धूम अब केवल बिहार-यूपी तक सीमित नहीं रही है, बल्कि विदेशों में भी इसका आकर्षण बढ़ चुका है. भारतीयों के लिए आस्था का यह महापर्व अब अमेरिका में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है. विशेष रूप से, पेन्सिलवेनिया में भारतीय प्रवासियों ने इस महापर्व को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाना शुरू कर दिया है. नहाय-खाय के साथ इस महापर्व के अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है, और इसमें भारतीय संस्कृति की गहरी छाप भी देखने को मिल रही है.
बक्सर जिले की मूल निवासी भारती तिवारी पिछले 16 वर्षों से अमेरिका में रहकर भी छठ महापर्व को उसी श्रद्धा के साथ मनाती हैं, जैसे वे अपने गृह राज्य बिहार में करती थीं. उनके पति डॉ. तारकेश्वर तिवारी, जो पेन्सिलवेनिया में नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत हैं, उनके साथ इस पर्व को मनाने में सहयोग करते हैं. डॉ. तिवारी बक्सर के सोनवर्षा गांव के निवासी हैं, और उन्होंने कोलकाता से एमबीबीएस और दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री हासिल की है. वे 16 साल पहले अमेरिका गए थे, और तभी से उन्होंने अपनी पत्नी के साथ इस महापर्व को अमेरिका में मनाने की परंपरा को जीवित रखा है.
खरना का प्रसाद ग्रहण करती डॉ भारती तिवारी(2024) |
भारती तिवारी ने बताया कि छठ महापर्व को लेकर उनका उत्साह कभी कम नहीं हुआ. उनका कहना है कि न केवल भारतीय मूल के लोग, बल्कि अमेरिकी भी इस आयोजन में भाग लेकर भारतीय संस्कृति से परिचित हो रहे हैं. छठ के पहले दिन वे खरना का प्रसाद ग्रहण करती हैं, और इस दौरान भारतीय मूल के लोग यहाँ एकत्रित होते हैं. भारती और डॉ. तिवारी ने इस महापर्व को अपनी नई पीढ़ी को भी सिखाया है, और उनके दो बच्चे इस दौरान पूरी तरह से बिहारी रंग में रंगे हुए दिखाई देते हैं.
स्थानीय भारतीयों के बीच बढ़ती सहभागिता :
अमेरिका में भारतीय संस्कृति को बनाए रखने में बक्सर नगर के स्टेशन रोड निवासी डॉ. रतन तिवारी भी अपना योगदान दे रहे हैं. डॉ. रतन तिवारी अपनी पत्नी और परिवार के साथ पेन्सिलवेनिया में भारती तिवारी के घर पहुंचकर छठ महापर्व में भाग ले रहे हैं. उनके साथ ही और भी कई भारतीय परिवार इस आयोजन में भागीदारी दिखा रहे हैं, जिससे यह पर्व और भी भव्यता से मनाया जा रहा है.
छठ के दौरान वे पारंपरिक परिधान पहनकर स्विमिंग पूल में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस दौरान कुछ स्थानीय महिलाएं भी भाग लेती हैं, जो छठ के गीत गाकर वातावरण को बिहारी रंग में रंग देती हैं. डॉ. तिवारी ने बताया कि पहले वे बक्सर से सीडी मंगवाते थे, लेकिन अब सोशल मीडिया और यू-ट्यूब पर छठ के गीत आसानी से मिल जाते हैं, जिनके जरिए वे छठ के गीतों का आनंद लेते हैं.
अमेरिकियों में भी बढ़ रहा है छठ का आकर्षण :
पारंपरिक छठ पूजा की सुंदरता को अब अमेरिकियों ने भी महसूस करना शुरू कर दिया है. जॉन स्मिथ, जो भारतीय मूल के नहीं हैं, कहते हैं कि छठ पूजा के अनुष्ठान को देखकर उन्हें बिहारी संस्कृति को समझने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि एक दिन उन्हें बिहार जाकर इस पर्व का अनुभव हो, ताकि वे भारतीय संस्कृति और छठ महापर्व के महत्व को और गहराई से समझ सकें.
पति के साथ अर्घ्य की तैयारी करती भारती तिवारी (पिछले वर्ष की तस्वीर) |
संस्कृति को जीवित रख रहे प्रवासी भारतीय :
इस महापर्व के आयोजन से यह भी साबित होता है कि विदेशों में रहने के बावजूद भारतीय अपनी माटी की संस्कृति और परंपराओं को नहीं भूलते. यह पर्व न केवल भारत में, बल्कि अब विदेशों में भी भारतीयों के लिए एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है. प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और सूर्य देव एवं छठी मइया की उपासना का प्रतीक यह पर्व प्रवासी भारतीयों के बीच उतना ही महत्वपूर्ण है जितना भारत में होता है.
छठ महापर्व की यह परंपरा विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बीच भारत की संस्कृति को जीवित रखने का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुकी है.
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