पूर्व एसएसपी और बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल के निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर दौड़ गई है. बक्सर में धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ कई प्रमुख हस्तियों ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की.
- समाजसेवा और धर्म के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति
- राम मंदिर निर्माण और हिंदुत्व पुनर्स्थापना में निभाई थी अग्रणी भूमिका
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : पूर्व एसएसपी और बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल के निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर दौड़ गई है. बक्सर में धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ कई प्रमुख हस्तियों ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की. बड़ी मठिया के महंत चंद्रमा दास, छोटी मठिया के महंत अनुग्रह नारायण दास, आचार्य श्याम प्रकाश चतुर्वेदी और बड़ी मठिया के प्रबंधक केदार नाथ सिंह ने उनके निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की.
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि यह समाचार अत्यंत पीड़ादायक है. उन्होंने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल का जीवन धर्म, सेवा और समाज के प्रति समर्पित था. उनका जाना न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
अश्विनी चौबे ने बताया कि उनके परिवार और आचार्य किशोर कुणाल के बीच आत्मीय संबंध 70 के दशक से रहे हैं. जेपी आंदोलन के दौरान हुई पहली मुलाकात के बाद से यह रिश्ता और गहरा होता चला गया. चौबे ने कहा कि हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर दर्शन के दौरान उनसे भेंट हुई थी, जहां उन्होंने 'राम रसोई' में भक्तों को भोजन कराने की पहल का उल्लेख किया था.
आचार्य किशोर कुणाल ने राम मंदिर निर्माण और हिंदुत्व पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. श्री राम कर्मभूमि न्यास के कार्यों में उनकी प्रतिबद्धता हमेशा देखी गई. उन्होंने भगवान श्री राम की पराक्रमी मूर्ति स्थापित करने के संकल्प को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी.
साहित्य और विचारधारा की अमूल्य धरोहर :
चौबे ने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'आईपीएस कुणाल' उन्हें भेंट की थी, जिसमें उनके जीवन के प्रेरणादायक अनुभव शामिल हैं. यह पुस्तक समाज के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी.
आचार्य किशोर कुणाल की हिंदुत्व सेवा को याद करते हुए चौबे ने कहा कि पूर्वी चंपारण में विराट रामायण मंदिर का निर्माण उनका सपना था, जो अभी अधूरा है, लेकिन इसे पूरा करने का प्रयास जारी रहेगा. चौबे ने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल का जाना उनकी व्यक्तिगत क्षति है, लेकिन उनकी स्मृतियां और विचार सदा जीवित रहेंगे और समाज को दिशा देते रहेंगे.
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