कहा कि भारत के विभाजन के बाद से बांग्लादेश, जिसे पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था, में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं. विशेष रूप से शेख हसीना के शासनकाल में स्थिति स्थिर रही, लेकिन उनके बाद से कट्टरपंथी ताकतों ने देश की कमान संभाल ली है.
- भारत सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग
- भारत को बांग्लादेश में धार्मिक असमानता पर चिंता
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : पूर्व आइआरएस अधिकारी और भाजपा के वरिष्ठ नेता बिनोद कुमार चौबे ने हाल ही में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन के बाद से बांग्लादेश, जिसे पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था, में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं. विशेष रूप से शेख हसीना के शासनकाल में स्थिति स्थिर रही, लेकिन उनके बाद से कट्टरपंथी ताकतों ने देश की कमान संभाल ली है.
पूर्व आइआरएस अधिकारी ने बताया कि इन कट्टरपंथी समूहों का प्रमुख लक्ष्य हिंदू समुदाय और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक हैं. परिणामस्वरूप, बांग्लादेश में दंगे, हत्या, मूर्तियों और मंदिरों को तोड़ने की घटनाओं से एक भय का माहौल व्याप्त हो गया है. उन्होंने बांग्लादेश के हिंदू समुदाय से एकजुट होकर अपनी सुरक्षा के लिए एक अलग राष्ट्र बनाने की मांग की.
चौबे ने कहा कि बांग्लादेश की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से भारत पर निर्भर है, और देश की अवशिष्ट अर्थव्यवस्था अवैध प्रवासियों के बल पर चल रही है। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि अब समय आ गया है जब बांग्लादेश को कड़े कदमों का सामना करना पड़े..साथ ही, उन्होंने बांग्लादेश में रह रहे अवैध प्रवासियों और रोहिंग्याओं को भारत से बाहर करने की बात की.
पूर्व आइआरएस अधिकारी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की कि वे बांग्लादेश में हो रहे दंगों और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रमंडल देशों और मानवता प्रेमी पश्चिमी देशों को इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में जारी ये हालात भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, खासकर जब बांग्लादेशी घुसपैठियों और कट्टरपंथियों की संख्या भारत में बढ़ती जा रही है.
चौबे ने अंत में कहा कि अगर स्थिति और बिगड़ती है, तो भारत को आवश्यकतानुसार बल प्रयोग करने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए. उन्होंने पश्चिम बंगाल की सरकार को भी इस मुद्दे पर सजग रहने का संदेश दिया, क्योंकि वर्तमान में वहां की सरकार इस दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रही है
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