बताया कि न्यायालय कर्मचारी अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इनमें स्नातक वेतनमान और प्रोन्नति, शत-प्रतिशत अनुकंपा नियुक्ति, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की कालबद्ध प्रोन्नति, और राज्य कैडर की मांगें शामिल हैं.
- दो दिनों में नहीं हुई लगभग 2000 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई,
- उच्च न्यायालय के न्यायधीशों के हस्तक्षेप के बाद देर शाम हुई हड़ताल वापसी की घोषणा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला न्यायमंडल के कर्मचारियों की हड़ताल का असर दूसरे दिन भी न्यायिक प्रक्रिया पर देखा गया. विभिन्न न्यायालयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा, जिससे लाखों रुपयों के राजस्व का नुकसान हुआ. साथ ही लगभग 2000 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी, जिससे कई कैदियों की रिहाई प्रक्रिया भी प्रभावित हुई. हालांकि शुक्रवार शाम पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति व अन्य न्यायाधीशों के साथ वार्ता तथा समस्याओं के निराकरण के आश्वासन के बाद कर्मियों ने मार्च महीने के प्रथम सप्ताह तक हड़ताल को स्थगित कर दिया.
बक्सर और डुमरांव के न्यायालयों में न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल के चलते शुक्रवार को किसी भी कैदी को जेल से प्रस्तुत नहीं किया जा सका. जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव बिंदेश्वरी प्रसाद पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय ने जानकारी दी कि हड़ताल के कारण न केवल न्यायिक कार्य रुका, बल्कि राजस्व भी प्रभावित हुआ. दैनिक तीन लाख रुपये न्याय शुल्क और 50 हजार रुपये जुर्माना राशि की वसूली नहीं हो पाई.
बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष अखौरी राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि न्यायालय कर्मचारी अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इनमें स्नातक वेतनमान और प्रोन्नति, शत-प्रतिशत अनुकंपा नियुक्ति, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की कालबद्ध प्रोन्नति, और राज्य कैडर की मांगें शामिल हैं.
कर्मचारियों को अधिवक्ताओं ने दिया समर्थन :
शुक्रवार को भी सुबह से कर्मचारियों ने न्यायालय परिसर में धरना दिया और अपनी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई होने तक हड़ताल जारी रखने का संकल्प लिया. धरनास्थल पर जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव बिंदेश्वरी प्रसाद पांडेय और वरिष्ठ अधिवक्ता शशिकांत उपाध्याय ने कर्मचारियों की जायज मांगों का समर्थन किया. उन्होंने पटना उच्च न्यायालय से शीघ्र कार्रवाई की अपील की.
धरने के दौरान रजनीकांत मिश्र, प्रियंका कुमारी, चित्रा, श्वेता सिन्हा, ज्योति कुमारी, नूर फातिमा, सीमा रंजन, मनोज कुमार शर्मा, देवाकांत पासवान, राहुल नारायण, ओम प्रकाश, रविंद्र कुमार, आशीष रंजन और आशा देवी सहित कई लोगों ने अपनी बात रखी.
उच्च न्यायालय ने दिया समाधान का आश्वासन :
शुक्रवार शाम पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और अन्य प्रशासनिक न्यायाधीशों ने राज्य के महाधिवक्ता और बिहार व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की. वार्ता के दौरान कर्मचारियों की मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया गया. इसके बाद हड़ताल वापस लेने की घोषणा हुई.
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