श्रीमद्भागवत कथा के सात दिवसीय आयोजन की भव्य शुरुआत

धुंधकारी के प्रेतयोनि से मुक्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने उसकी माता द्वारा संत प्रसाद के अनादर और छल-कपट से पुत्र प्राप्ति के बुरे परिणामों को समझाया. कथा श्रवण से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनुष्य भक्ति में रम जाता है.











                                           

- इटाढ़ी में निकाली गई भव्य जल यात्रा
- धर्म और भक्ति के संदेश के साथ कथा का शुभारंभ

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के इटाढ़ी में गुरुवार को सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण संगीतमय कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ भव्य जल यात्रा के साथ हुआ. सुबह करीब 11 बजे गाजे-बाजे और घोड़े के साथ यात्रा शुरू की गई. श्रद्धालुओं ने कलश लेकर पूरे गांव का भ्रमण किया और ठोरा नदी में जल भरने के बाद यज्ञ स्थल पर कलश की स्थापना की. इसके साथ ही श्रीमद्भागवत कथा का प्रवाह भी आरंभ हो गया. 

पहले दिन कथा व्यास आचार्य रणधीर ओझा ने श्रीमद्भागवत कथा की महत्ता पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया, "बिनु परतीती होई नहीं प्रीति," अर्थात जब तक ज्ञान नहीं होगा, प्रेम स्थायी नहीं होता. उन्होंने धुंधकारी के चरित्र पर चर्चा करते हुए कहा कि इसे आत्मसात करने से जीवन की उलझनें समाप्त हो जाती हैं.

उन्होंने द्रौपदी और कुन्ती जैसी महाभागवत नारियों के चरित्र पर चर्चा की. कुन्ती स्तुति का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए परीक्षित के जन्म और शुकदेव के आगमन की कथा सुनाई. उन्होंने गौकर्ण और धुंधकारी की कथा के माध्यम से अच्छे और बुरे कर्मों की परिणति को विस्तार से समझाया.

आचार्य ओझा ने भागवत कथा को जीवन का सार बताते हुए कहा कि इसे निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ सुनने से परमानंद की प्राप्ति होती है. कथा सुनने से प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है और मनुष्य भक्ति की ओर अग्रसर होता है.

भक्तों की अपार श्रद्धा  : 

आचार्य श्री ओझा ने कथा के दौरान भगवान की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि ये हमें धर्मानुसार आचरण करने की प्रेरणा देती हैं. उन्होंने बताया कि जब कोई व्यक्ति अच्छे कर्मों के लिए आगे बढ़ता है तो संपूर्ण सृष्टि की शक्तियां उसका साथ देती हैं.

धुंधकारी के प्रेतयोनि से मुक्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने उसकी माता द्वारा संत प्रसाद के अनादर और छल-कपट से पुत्र प्राप्ति के बुरे परिणामों को समझाया. कथा श्रवण से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनुष्य भक्ति में रम जाता है.

भव्य जल यात्रा में श्रद्धालुओं का उत्साह : 

भव्य जल यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे. यात्रा में श्याम बिहारी पाठक, मनभरन पाठक, राममूरत पाठक, इंद्रलेश पाठक, रामनारायण पाठक, ब्रजेश पाठक, जोधन पाठक, धर्मेंद्र पाठक, उमापति पांडेय, ललन उपाध्यक्ष, कमलेश पाठक, राहुल पाठक, अरविंद पाठक, राजू पाठक, वशिष्ठ पाठक, प्रमोद कुमार चौबे, सुनिल पाठक और रामेश्वर पाठक समेत अन्य श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं ने भक्ति, ज्ञान और जीवन के गहरे पहलुओं को समझा. आयोजन का यह पहला दिन धर्म और अध्यात्म की अद्भुत छटा बिखेरता रहा.











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