सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत सदर अस्पताल में सीपीआर की दी गई जानकारी

यह प्रक्रिया हृदय स्ट्रोक, अस्थमा या पल्मोनरी हाइपरटेंशन जैसी गंभीर स्थितियों में जीवन बचाने में सहायक होती है. सीपीआर के दौरान छाती पर दबाव देकर ऑक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह मस्तिष्क और हृदय तक पहुंचाया जाता है.











                                           



- बक्सर में आयोजित कार्यक्रम, जीवन बचाने की तकनीकों पर जोर
- चिकित्सकों और अधिकारियों ने सीपीआर का महत्व समझाया

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत शुक्रवार को सदर अस्पताल में परिवहन विभाग और अस्पताल प्रबंधन के संयुक्त प्रयास से सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) की जानकारी दी गई. इस दौरान लोगों को यह बताया गया कि कैसे आपातकालीन स्थितियों में सीपीआर देकर किसी की जान बचाई जा सकती है.

सदर अस्पताल के एनसीडीओ डॉ. संजय सिंह ने मरीजों के परिजनों को सीपीआर के महत्व और इसे सही तरीके से देने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया. उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति सांस लेने में असमर्थ होता है, तो सीपीआर उसे नया जीवन देने में मददगार हो सकता है. यह तकनीक दिल का दौरा, दम घुटने, डूबने और सांस फूलने जैसी आपात स्थितियों में जान बचाने के लिए अहम भूमिका निभाती है.

सीपीआर क्या है और इसका महत्व?

सीपीआर का मतलब "कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन" है. यह एक आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य हृदय की धड़कन और सांस को बहाल करना है. यह प्रक्रिया हृदय स्ट्रोक, अस्थमा या पल्मोनरी हाइपरटेंशन जैसी गंभीर स्थितियों में जीवन बचाने में सहायक होती है. सीपीआर के दौरान छाती पर दबाव देकर ऑक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह मस्तिष्क और हृदय तक पहुंचाया जाता है.

सीपीआर कब और क्यों दी जाती है?

डॉ. सिंह ने बताया कि हृदयाघात, सांस लेने में तकलीफ या ब्लड सर्कुलेशन रुकने जैसी परिस्थितियों में तुरंत सीपीआर देना चाहिए. इसका उद्देश्य मस्तिष्क और शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन प्रदान कर क्षति को रोकना है.

इस जागरूकता अभियान में परिवहन विभाग के एसआई सुनील कुमार, चंदन कुमार झा, अभिलाषा लक्ष्मी, और सुरक्षाकर्मी सुरज कुमार, निशांत कुमार व प्रभात कुमार ने भाग लिया. उपस्थित सभी ने सीपीआर तकनीक की जानकारी प्राप्त कर इसे आवश्यक परिस्थितियों में अपनाने का संकल्प लिया.







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