स्मार्ट क्लास में कैदियों के लिए अनुकूल शैक्षणिक माहौल बनाया गया है. यहां उनके बैठने की बेहतर व्यवस्था के साथ एक ऐसा वातावरण तैयार किया गया है, जिससे उन्हें महसूस हो सके कि वे सीखने की प्रक्रिया में शामिल हैं, न कि एक जेल के भीतर.
- केंद्रीय कारा में स्मार्ट क्लास का शुभारंभ
- रिहाई के बाद बेहतर जीवन के लिए कौशल विकास पर जोर
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : केंद्रीय कारा में पहली बार स्मार्ट क्लास की शुरुआत की गई है, जहां ऑडियो-विजुअल माध्यम से कैदियों को शिक्षा दी जाएगी. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कैदियों को सशक्त बनाना और उनकी रिहाई के बाद रोजगार एवं बेहतर जीवन जीने में सहायता करना है. अब कैदी यूट्यूब के माध्यम से डिजिटल कक्षाओं का लाभ उठा सकेंगे. माना जा रहा है कि कारा एवं सुधार विभाग की यह पहल कैदियों को जेल से छूटने के बाद मुख्यधारा में शामिल होने में काफी मददगार साबित होगी.
कारा अधीक्षक ज्ञानिता गौरव के अनुसार, कारा एवं सुधार विभाग तथा जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के प्रयास से शुरु हुई इस स्मार्ट क्लास परियोजना से कैदियों को उनकी अधूरी शिक्षा पूरी करने और विभिन्न कौशल सीखने का अवसर मिलेगा. यह पहल न केवल कैदियों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी, बल्कि उन्हें रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगी. स्मार्ट क्लास में कैदियों के लिए अनुकूल शैक्षणिक माहौल बनाया गया है. यहां उनके बैठने की बेहतर व्यवस्था के साथ एक ऐसा वातावरण तैयार किया गया है, जिससे उन्हें महसूस हो सके कि वे सीखने की प्रक्रिया में शामिल हैं, न कि एक जेल के भीतर.
25 बंदियों का पहला बैच करेगा कौशल विकास :
कारा अधीक्षक ने बताया कि पहले चरण में 25 कैदियों का चयन किया गया है, जिन्हें बांस से बने उत्पादों और अन्य हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया जाएगा. ऑडियो-विजुअल माध्यम से कैदी चीजों को बेहतर तरीके से समझकर अपने कौशल विकास में उनका उपयोग कर सकेंगे. इसके साथ ही, जो बंदी इग्नू, एनआईओएस या अन्य संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वे संबंधित संस्थानों के वीडियो देखकर अपने विषयों को गहराई से समझ पाएंगे. कई जानकर शिक्षकों की ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होकर वे अपनी शिक्षा को और मजबूत बना सकेंगे.
कैदियों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव :
कारा अधीक्षक ने बताया कि बिहार सरकार का कारा एवं सुधार विभाग लगातार यह सुनिश्चित कर रहा है कि कैदियों के साथ बेहतर व्यवहार हो और उनकी मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके. इस दिशा में उन्हें नई पहल और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ा जा रहा है.
कैदियों के बनाए गए उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत जेल परिसर में 'मुक्ति आउटलेट' का निर्माण किया जा रहा है, जहां कैदियों के उत्पादों को बिक्री के लिए रखा जाएगा. हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित मकर संक्रांति महोत्सव में कैदियों के हाथों से बने उत्पाद, जैसे पूजा की डलिया, मसाले, चकला-बेलन, लाइफर और कास्टिक साबुन की जमकर बिक्री हुई। महज चार घंटे में 14 हजार रुपये के उत्पाद बिके, जो इस पहल की सफलता को दर्शाता है.
कहते हैं जिलाधिकारी :
कारा एवं सुधार विभाग का सदैव यह उद्देश्य रहता है कि कैदी जब अपनी सजा पूरी कर रिहा हो तो वह समाज की मुख्य धारा से जल्द से जल्द जुड़ जाए. यूट्यूब तथा अन्य डिजिटल माध्यमों का प्रयोग जिस तरह से बढ़ रहा है ऐसे में कैदी इन माध्यमों से अपनी आवश्यकता के मद्देनजर बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे.
अंशुल अग्रवाल,
डीएम, बक्सर
उम्मीदों की नई राह :
इस पहल से न केवल कैदियों को शिक्षा और कौशल का लाभ मिलेगा, बल्कि उन्हें समाज में पुनःस्थापित होने का अवसर भी मिलेगा. स्मार्ट क्लास के माध्यम से कैदियों के जीवन में एक नई उम्मीद जगी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रयास न केवल कैदियों के व्यक्तिगत विकास में सहायक होगा, बल्कि समाज को भी बेहतर बनाने में मदद करेगा.
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