ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए प्रवचन दिया. उन्होंने कहा कि बक्सर केवल एक भूमि नहीं, बल्कि सनातन धर्म की तपोस्थली रही है, जहां अनेक ऋषियों और संतों ने घोर तपस्या कर धर्म का प्रचार-प्रसार किया.
- कम्हरिया में लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर रहे भक्त
- त्रिदंडी स्वामी महाराज ने प्रवचन में बताया बक्सर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व, सनातन संस्कृति के संरक्षण पर जोर
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के कम्हरिया स्थित गंगाधाम में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का भव्य आयोजन किया गया है, जिसमें हजारों श्रद्धालु जुटे हुए हैं. इस अवसर पर गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी महाराज ने बक्सर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए प्रवचन दिया. उन्होंने कहा कि बक्सर केवल एक भूमि नहीं, बल्कि सनातन धर्म की तपोस्थली रही है, जहां अनेक ऋषियों और संतों ने घोर तपस्या कर धर्म का प्रचार-प्रसार किया.
त्रिदंडी स्वामी महाराज ने अपने प्रवचन में बताया कि बक्सर की पावन भूमि ऋषि-मुनियों की साधना स्थली रही है. यह वही भूमि है, जहां महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या की थी और श्रीराम तथा लक्ष्मण को दिव्यास्त्रों की शिक्षा दी थी. इसके अलावा, यहीं महर्षि भारद्वाज, अत्रि और अन्य कई महान ऋषियों ने साधना की थी. उन्होंने कहा कि गंगा किनारे स्थित यह क्षेत्र न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, और इसकी महिमा वेद-पुराणों में वर्णित है.
महायज्ञ की पूर्णाहुति आज
कम्हरिया में 12 दिनों से चल रहे इस महायज्ञ की पूर्णाहुति आज विधिवत रूप से की जाएगी. इस अवसर पर विशेष हवन, पूजन और आरती का आयोजन होगा. श्रद्धालुओं के लिए यह एक दिव्य अनुभव साबित हो रहा है, जहां वे भजन-कीर्तन और संत प्रवचनों का लाभ उठा रहे हैं. गंगा नदी के बीच स्थित यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर भक्तगण पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं.
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, भक्तिमय माहौल
महायज्ञ के आयोजन स्थल पर दूर-दूर से आए श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित हैं. गंगाधाम में साधु-संतों की उपस्थिति से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. संतों के प्रवचन से लोगों को धर्म और अध्यात्म की गहराई को समझने का अवसर मिल रहा है. श्रद्धालु यहां भजन-कीर्तन में लीन होकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं.
विशाल भंडारे का आयोजन
महायज्ञ के समापन के अवसर पर आज विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे. आयोजकों ने बताया कि यह धार्मिक अनुष्ठान केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव का संदेश देने के लिए भी किया जा रहा है.
सनातन संस्कृति के संरक्षण का संदेश
त्रिदंडी स्वामी महाराज ने अपने प्रवचन में यह भी कहा कि वर्तमान समय में सनातन धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पहले से अधिक है. उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी प्राचीन विरासत को समझें और धर्म के मार्ग पर चलकर समाज में सकारात्मक योगदान दें.
भविष्य में भी होंगे ऐसे आयोजन
आयोजन समिति ने बताया कि इस प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक लोग आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकें और सनातन परंपराओं से जुड़ सकें. गंगाधाम, कम्हरिया में इस प्रकार के आयोजन से पूरे क्षेत्र में भक्ति और श्रद्धा का माहौल बना हुआ है.
0 Comments