वीडियो : महर्षि च्यवन की तपोस्थली पर हुआ सनातन सम्मान समारोह

वक्ताओं ने इस अवसर पर चौसा के आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित किया और इसे सनातन संस्कृति के गौरवशाली इतिहास से जोड़ने की आवश्यकता बताई. महादेव घाट, जहां गंगा उत्तरायण प्रवाहित होती हैं, हजारों ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है. 










                                           

  • चौसा में सनातन संस्कृति का भव्य उत्सव
  • धार्मिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने का लिया संकल्प

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे के आह्वान पर चौसा च्यवन मुनि आश्रम महादेव घाट पर भव्य 'सनातन सम्मान समारोह' का आयोजन किया गया. इस आयोजन का उद्देश्य चौसा की प्राचीन सनातनी विरासत को पुनः स्थापित करना और महर्षि च्यवन ऋषि एवं महादेव घाट के धार्मिक महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना था.

चौसा, जो ऐतिहासिक रूप से वीरों की भूमि रही है, अपने धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. वक्ताओं ने इस अवसर पर चौसा के आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित किया और इसे सनातन संस्कृति के गौरवशाली इतिहास से जोड़ने की आवश्यकता बताई. महादेव घाट, जहां गंगा उत्तरायण प्रवाहित होती हैं, हजारों ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है. महर्षि च्यवन, जिन्होंने आयुर्वेद में अभूतपूर्व योगदान दिया और च्यवनप्राश की खोज की, इसी पावन भूमि से जुड़े थे.

कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों, संतों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने चौसा के धार्मिक गौरव को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया. विभिन्न विचार-विमर्श और सम्मान समारोह के माध्यम से सनातन संस्कृति को संरक्षित करने और प्रचारित करने पर जोर दिया गया.

सम्मान समारोह में प्रमुख अतिथि:
मुखिया पूनम ओझा, विजय शंकर पांडेय, अभिषेक रविराज (शाहाबाद संयोजक), रंगनाथ त्रिवेदी, उत्तम पटेल, पूर्व मुखिया ब्रिज बिहारी सिंह, कथावाचक अमित उपाध्याय, पूर्व सरपंच रामाश्रय यादव.

अन्य विशिष्ट जनों की उपस्थिति:
मंच संचालन मोहित बाबा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अशोक उपाध्याय (राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर) ने किया. कार्यक्रम में नितेश उपाध्याय, धनजी तिवारी, वीरेंद्र कश्यप, गोलू चौबे, जितेश उपाध्याय, रवीश जायसवाल, काजू मिश्रा, रजनीश उपाध्याय, श्री भगवान सिंह, विशाल चौधरी, सुजीत सिंह, सूर्य प्रकाश, अमित यादव, प्रभु प्रकाश सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे.

इस आयोजन के माध्यम से चौसा के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को उजागर करने के लिए एक नया अभियान शुरू हुआ, जिससे सनातन संस्कृति को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हुई.

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