करीब 65 करोड लोगों ने दर्शन तथा पवित्र स्नान किया. मानव के इतिहास और पूरे ब्रह्मांड की अद्भुत घटना है, निश्चित ही कुछ त्रुटियां, कुछ बाधाएं, कुछ घटनाएं और दुर्घटनाएं, दुखद रही लेकिन इतने बड़े आयोजन का होना कभी-कभी कल्पना के परे की चीज लगती है.
- 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया संगम में स्नान, विश्व को दिया संदेश
- आस्था, एकता और सनातन संस्कृति का ऐतिहासिक पर्व
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : महाकुंभ 2025 (जिसका संयोग 144 साल के बाद आया था) का प्रयागराज के गंगा-यमुना-सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आयोजन जहां करीब 65 करोड लोगों ने दर्शन तथा पवित्र स्नान किया. मानव के इतिहास और पूरे ब्रह्मांड की अद्भुत घटना है, निश्चित ही कुछ त्रुटियां, कुछ बाधाएं, कुछ घटनाएं और दुर्घटनाएं, दुखद रही लेकिन इतने बड़े आयोजन का होना कभी-कभी कल्पना के परे की चीज लगती है. यह कहना है पूर्व आइआरएस व भाजपा नेता बिनोद चौबे का.
उन्होंने कहा कि इतने सारे लोगों के लिए कानून-व्यवस्था, उनके आने-जाने की खाने-पीने की, रहने की, साफ-सफाई की, घायलों और बीमारों के उपचार की, भूले भटकों को ढूंढने और मिलाने, गाड़ियों के पार्किंग, स्नान करने वाले लोगों को डूबने से बचाने इत्यादि की व्यवस्था काफी अद्भुत रही.
एक तरह से यह सनातन का सबसे बड़ा पर्व बन गया. भारत के हर कोने से विश्व के ज्यादातर देशों से गरीब-अमीर, हर जाति, धर्म-संप्रदाय से इतने सारे लोग शामिल हुए. इस महापर्व ने सोशल डिस्टेंसिंग (एक दूसरे से दूर रहना ताकि संक्रमण न हो) को नकार दिया और ना कोई बीमारी, ना कोई छुआछूत, ना ही कोई महामारी हुई. गंगा, यमुना, सरस्वती की अविरल धारा ने सब कुछ पवित्र कर दिया. महाकुंभ के इस महापर्व ने विश्व को एक नया संदेश दिया - शांति का, एकजुटता का, एक दूसरे के सुख-दुख में साथ रहने का, भाईचारे का, गरीब-अमीर का भेदभाव मिटाने का, जाति-पाती का भेदभाव खत्म करने का. संकट की स्थिति में संयम रखने और एक दूसरे का साथ देने का. "वसुधैव-कुटुंबकम" जो सनातन का मूल संस्कार और विचारधारा है. जिसका मतलब पूरा विश्व एक परिवार है को हम सब मिलकर चरितार्थ करें.
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