भोजपुरी भाषा को संरक्षित करने की अपील, अश्लीलता पर रोक की मांग

कहा कि भोजपुरी भाषा से करीब 20 करोड़ लोगों की आस्था जुड़ी हुई है, लेकिन यह अश्लीलता के कारण अपनी गरिमा खो रही है. रवि राज ने सरकार से मांग की कि जिस तरह मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, उसी तरह भोजपुरी को भी संवैधानिक मान्यता दी जाए. 











                                           

  • होली मिलन में गूंजे पारंपरिक फगुआ गीत
  • विश्वामित्र सेना और पंडा समाज ने सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का दिया संदेश

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के रामरेखा घाट पर विश्वामित्र सेना और पंडा समाज के संयुक्त तत्वावधान में भव्य होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पारंपरिक फगुआ गीतों की शानदार प्रस्तुति हुई, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने अपनी मधुर आवाज़ से समां बांधा. राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे के निर्देश पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए और पारंपरिक लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने का संकल्प लिया.

फगुआ गीतों से गूंजा रामरेखा घाट

समारोह में मोती बाबा के नेतृत्व में अनिरुद्ध तिवारी, बिहारी बाबा, अजीत बाबा, राधे बाबा, ईश्वर भाई और जगदीश व्यास जैसे प्रसिद्ध कलाकारों ने अपने सुमधुर स्वरों में पारंपरिक होली गीत प्रस्तुत किए. घाट पर गूंजते इन गीतों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया और लोगों को अपनी लोकसंस्कृति से जोड़ने का संदेश दिया. इस दौरान श्रद्धालु व स्थानीय लोगों ने रंग-अबीर उड़ाकर एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दीं.

भोजपुरी भाषा को बढ़ावा देने की जरूरत

कार्यक्रम के दौरान विश्वामित्र सेना के शाहाबाद संयोजक रवि राज ने कहा कि भोजपुरी भाषा को अश्लीलता से बचाने के लिए पारंपरिक गीतों को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा से करीब 20 करोड़ लोगों की आस्था जुड़ी हुई है, लेकिन यह अश्लीलता के कारण अपनी गरिमा खो रही है. रवि राज ने सरकार से मांग की कि जिस तरह मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, उसी तरह भोजपुरी को भी संवैधानिक मान्यता दी जाए. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए शुद्ध और पारंपरिक भोजपुरी गीतों को अपनाएं.

सांस्कृतिक विरासत को बचाने का संकल्प

इस आयोजन के माध्यम से विश्वामित्र सेना और पंडा समाज ने न सिर्फ पारंपरिक होली गीतों को बढ़ावा दिया, बल्कि समाज में भोजपुरी भाषा की गरिमा को बनाए रखने का संदेश भी दिया. आयोजकों ने कहा कि यह कार्यक्रम हर साल आयोजित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी लोकसंस्कृति से जुड़ी रहें और इसे गर्व के साथ आगे बढ़ाएं.











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