वीडियो : रामरेखा घाट पर गरजा बुलडोजर : तीन पक्के मकान हुए जमींदोज़

परिवारों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया और जबरन उनके घरों को गिरा दिया गया, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ. उन्होंने प्रशासन पर अन्याय करने का आरोप लगाया और सवाल उठाया कि गंगा किनारे कई अन्य अवैध कब्जे हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं होती.









                                           



- सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को किया गया ध्वस्त
- परिवारों का हंगामा, महिलाओं ने जताई नाराजगी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिला मुख्यालय स्थित रामरेखा घाट स्थित लाइट एंड साउंड के पास सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए तीन पक्के मकानों को गुरुवार को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया. यह कार्रवाई दोपहर करीब 12 बजे नगर परिषद के सिटी मैनेजर नीरज कुमार झा के नेतृत्व में की गई. प्रशासन ने पुलिस बल की मौजूदगी में बुलडोजर चलाकर मकानों को गिराया. इस दौरान सदर सीओ प्रशांत शांडिल्य बतौर दंडाधिकारी मौके पर मौजूद रहे.

अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान घर के सदस्यों ने विरोध किया और अधिकारियों से बहस करने लगे. नगर परिषद के सिटी मैनेजर झा ने बताया कि जब पुलिस बल और अधिकारी मौके पर पहुंचे, तो वहां अफरा-तफरी मच गई. घर के लोगों ने प्रशासन से मकान न तोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन अधिकारियों की सख्ती के आगे उनकी एक न चली. प्रशासन ने मकान खाली करने का मौका दिया, जिसके बाद बुलडोजर चलाकर सरकारी जमीन पर बने मकानों को गिरा दिया गया.

डीएम के निर्देश पर हुई कार्रवाई

नगर परिषद के अधिकारियों ने बताया कि रामरेखा घाट के सौंदर्यीकरण और लाइट एंड साउंड प्रोजेक्ट के निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. इसी आदेश के तहत नगर परिषद ने गुरुवार को कार्रवाई की. प्रशासन ने स्पष्ट किया कि अब इस स्थान पर दोबारा कोई भी अवैध निर्माण नहीं होने दिया जाएगा.

पहले दी गई थी नोटिस, फिर भी नहीं हटाया गया कब्जा

नगर परिषद ने बताया कि अतिक्रमण करने वाले बबन पांडेय, शारदा देवी और सुनील पांडेय को तीन-तीन बार नोटिस भेजा गया था. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और अतिक्रमण हटाने की पहल भी नहीं की. इसके बाद नगर परिषद ने कार्रवाई करते हुए तीनों मकानों को तोड़ दिया. सिटी मैनेजर झा ने कहा कि एक और मकान अवैध कब्जे के दायरे में है, जिस पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.

परिजनों का विरोध, महिलाओं की आंखों में आंसू

अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान जब मकान गिराए गए, तो वहां की महिलाएं और लड़कियां रोने लगीं. पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया और जबरन उनके घरों को गिरा दिया गया, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ. उन्होंने प्रशासन पर अन्याय करने का आरोप लगाया और सवाल उठाया कि गंगा किनारे कई अन्य अवैध कब्जे हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं होती.

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