किडनी की समस्या है तो उसे नियमित रूप से हर हफ्ते क्रिएटिनिन की जांच करानी चाहिए. शुगर के मरीजों को विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि वे खाली पेट शुगर की जांच करें और खान-पान पर नियंत्रण रखें. मसाला, पान और जर्दा का सेवन नहीं करने की सलाह दी गई ताकि क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने से रोका जा सके.

- किडनी रोगियों की जांच एवं मुफ्त दवाइयों का वितरण
- चिकित्सकों ने दी स्वस्थ रहने की महत्वपूर्ण सलाह
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के चीनी मिल स्थित साबित खिदमत फाउंडेशन में विश्व किडनी दिवस के अवसर पर निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में किडनी रोगियों का इलाज किया गया और उन्हें मधुमेह एवं रक्तचाप से बचने के उपाय बताए गए. शिविर में आए लगभग 50 रोगियों का मुफ्त एच बी ए - 1 सी और शुगर जांच अरुण कुमार द्वारा किया गया.
चिकित्सकों ने इस अवसर पर बताया कि किडनी रोगों से बचाव के लिए नशे का सेवन पूरी तरह से बंद करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति को पहले से किडनी की समस्या है तो उसे नियमित रूप से हर हफ्ते क्रिएटिनिन की जांच करानी चाहिए. शुगर के मरीजों को विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि वे खाली पेट शुगर की जांच करें और खान-पान पर नियंत्रण रखें. मसाला, पान और जर्दा का सेवन नहीं करने की सलाह दी गई ताकि क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने से रोका जा सके.
इस अवसर पर प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर दिलशाद आलम ने कहा कि दुनिया भर में लाखों लोग किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं और यह एक गंभीर एवं जानलेवा बीमारी बन चुकी है. क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने के बाद मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है, जो एक कठिन और महंगी प्रक्रिया है. इससे बचने के लिए लोगों को नियमित रूप से चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए और आवश्यक दवाओं का सेवन करना चाहिए. उन्होंने यह भी सलाह दी कि दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करने से बचें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा मेडिकल स्टोर से न लें.
शिविर में अरुण कुमार, रोशन कुमार, इम्तियाज, रुकसाना, अंजलि, सोनम, रिया कुमारी, तालिब, निर्मला, शबनम, अनुज बरपाटन, रेहान, अमृता, कौशरी, संकट राम अवतार सहित कई लोग मौजूद थे.
डॉक्टर मनीष कुमार ने बताया कि पूरे भारत में 25 लाख से अधिक लोग किडनी की गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, जिनका इलाज अत्यंत कठिन और महंगा होता है. हालांकि, सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा कई कदम उठाए गए हैं ताकि किडनी रोगियों को बेहतर उपचार मिल सके. लेकिन इसके साथ ही मरीजों को खुद भी सावधानी बरतनी होगी और अपने खान-पान तथा जीवनशैली में सुधार करना होगा ताकि इस गंभीर बीमारी से बचा जा सके.
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