सदर अस्पताल का आइसीयू हुआ बंद, छुट्टी ले कर गायब चिकित्सक निजी अस्पताल में सेवाएं देते मिले

जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के दौरान बक्सर पहुंचे थे तो आनन-फानन में आईसीयू को शुरु कर दिया गया था और उसमें डॉ अजीत कुमार सिंह को प्रतिनियुक्त किया गया था. लेकिन मुख्यमंत्री के जाते ही डॉ अजीत कुमार सिंह लंबी छुट्टी लेकर चले गए और तब से आइसीयू की सेवा सदर अस्पताल में बंद हो गई.












                                           



- आरटीआई कार्यकर्ता के सहयोग से बना वीडियो तो हुआ खुलासा
- घटना के बाद अब सवालों के घेरे में चिकित्सा व्यवस्था

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सदर अस्पताल में शुरु किया गया आईसीयू फिलहाल बंद कर दिया गया है. यहां कार्यरत मूर्छक डॉ अजीत कुमार सिंह लंबी छुट्टी लेकर चले गए हैं. भले ही वह सदर अस्पताल में कार्य नहीं कर रहे हो लेकिन यह बात सामने आई है कि वह अपने निजी अस्पताल में लगातार सेवाएं दे रहे हैं. आरटीआई कार्यकर्ता हरे कृष्ण सिंह ने इस बात का खुलासा किया है और उन्होंने अपने एक सहयोगी संजय कुमार की मदद से अपने निजी क्लीनिक में बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्सक का वीडियो भी बना लिया है, जिसे अब सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया है. आरटीआई कार्यकर्ता का यह कहना है कि यह खेल स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है. यह मामला सामने आते ही स्वास्थ्य महकमे में हड़कम्प मच गया और कई सवाल भी उठने लगे.

दरअसल, मूल रूप से आरा के निवासी डॉ अजीत कुमार सिंह सदर अस्पताल में मूर्छक के पद पर कार्यरत हैं. उनकी ड्यूटी आइसीयू में लगाई गई है. हाल ही में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के दौरान बक्सर पहुंचे थे तो आनन-फानन में आईसीयू को शुरु कर दिया गया था और उसमें डॉ अजीत कुमार सिंह को प्रतिनियुक्त किया गया था. लेकिन मुख्यमंत्री के जाते ही डॉ अजीत कुमार सिंह लंबी छुट्टी लेकर चले गए और तब से आइसीयू की सेवा सदर अस्पताल में बंद हो गई.

अपने निजी क्लीनिक में इलाज करते मिले चिकित्सक :

अपनी ड्यूटी से छुट्टी लेकर गए चिकित्सक डॉ अजीत कुमार सिंह आरा के के जी रोड में शिव मेमोरियल नर्सिंग होम प्राइवेट लिमिटेड में अपनी सेवाएं देते हुए मिले. उनसे मिलने के पूर्व रोगी ने पर्ची कटाई और यह बताया कि उसे बुखार है. चिकित्सक ने उसका परीक्षण किया और उसे दवाई भी लिख दी. लेकिन इस दौरान रोगी के सहयोगी के द्वारा इलाज करते चिकित्सक का वीडियो बना लिया गया जिससे यह साबित हो गया कि वह सरकारी अस्पताल में जरूरतमंदों को सेवा देने में भले कतरा रहे हो लेकिन 300 रुपये का शुल्क लेकर निजी अस्पताल में इलाज करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.

सेवा से बर्खास्त करने की मांग :

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता विनोधर ओझा ने कहा कि ऐसे लोग जो सरकार और जनता की आंखों में धूल झोंक कर अपने निजी स्वार्थ में लिप्त रहते हैं, उन पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज इलाज के अभाव में कई मरीजों की मृत्यु हो जाती है. सदर अस्पताल की ड्यूटी छोड़कर निजी अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक को सरकारी चिकित्सक कहलाने का कोई हक नहीं.

अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण सिविल सर्जन नहीं कर पा रहे कार्रवाई : 

इस मामले में सिविल सर्जन डॉ शिव कुमार प्रसाद चक्रवर्ती ने बताया कि चिकित्सक पहले छुट्टी पर चले गए और बाद में उन्होंने आवेदन भिजवा दिया. फिलहाल वह भोजपुर जिले में कार्यरत है जो कि उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. ऐसे में भोजपुर के जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए.










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