कहा कि बक्सर आज भी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है, ऐसे में यहां के लोगों को जागरूक होना होगा और सनातन संस्कृति को बढ़ावा देना होगा. उन्होंने अयोध्या और प्रयागराज का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन से स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ मिला है.
- बक्सर के विकास को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का बड़ा बयान
- महर्षि विश्वामित्र कॉरिडोर निर्माण की उठी मांग
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चौबे ने बक्सर में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि वह बक्सर के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से यहां पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि बक्सर का इतिहास अयोध्या से भी पुराना है, लेकिन यहां के जनप्रतिनिधियों ने केवल अपने चुनावी स्वार्थ के लिए इसका उपयोग किया है. यही कारण है कि बक्सर को वह पहचान नहीं मिल पाई, जिसका वह हकदार था.
उन्होंने कहा कि बक्सर आज भी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है, ऐसे में यहां के लोगों को जागरूक होना होगा और सनातन संस्कृति को बढ़ावा देना होगा. उन्होंने अयोध्या और प्रयागराज का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन से स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ मिला है. इसी प्रकार यदि बक्सर में सनातन संस्कृति का विकास किया जाए, तो यहां के लोगों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा.
राजकुमार चौबे ने महर्षि विश्वामित्र कॉरिडोर के निर्माण की मांग उठाते हुए कहा कि बक्सर की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को एक स्थान पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि बक्सर को उसकी पुरानी पहचान वापस दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.
इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि सनातन धर्म पर किसी का कॉपीराइट नहीं है. यह किसी एक दल विशेष या व्यक्ति विशेष की संपत्ति नहीं है, बल्कि यह सभी का है. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को सनातन के उत्थान के लिए प्रयास करना होगा, ताकि हमारी संस्कृति और परंपराएं सशक्त बनी रहें.
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका यह अभियान किसी चुनावी उद्देश्य से प्रेरित नहीं है, बल्कि वह बक्सर की सांस्कृतिक विरासत के उत्थान के लिए यहां आए हैं. उन्होंने संकल्प लिया कि जब तक बक्सर को उसका ऐतिहासिक गौरव प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे.
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