बक्सर का नाम आते ही रामायण काल की याद आती है, क्योंकि यह वही भूमि है जहां भगवान श्रीराम ने महर्षि विश्वामित्र से शिक्षा प्राप्त की थी. यहां की धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत अयोध्या और काशी से भी पुरानी मानी जाती है, लेकिन इसे वह पहचान नहीं मिली, जिसकी यह हकदार थी.

- विश्वामित्र सेना के प्रयासों से राजनीतिक मंचों तक पहुंची बक्सर की ऐतिहासिक गरिमा
- राजकुमार चौबे बोले – सनातनी परंपरा को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का अभियान जारी
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बिहार का ऐतिहासिक नगर बक्सर अब सिर्फ धार्मिक मान्यताओं तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसकी समृद्ध सनातन विरासत अब राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन चुकी है. महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे का मानना है कि यह बदलाव किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि विश्वामित्र सेना के लगातार किए गए प्रयासों का ही फल है. उनकी पहल के चलते बक्सर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल रही है.
बक्सर का गौरवशाली इतिहास
बक्सर का नाम आते ही रामायण काल की याद आती है, क्योंकि यह वही भूमि है जहां भगवान श्रीराम ने महर्षि विश्वामित्र से शिक्षा प्राप्त की थी. यहां की धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत अयोध्या और काशी से भी पुरानी मानी जाती है, लेकिन इसे वह पहचान नहीं मिली, जिसकी यह हकदार थी. राजकुमार चौबे वर्षों से इस दिशा में कार्य कर रहे हैं और बक्सर की सनातनी परंपरा को फिर से जीवंत करने का प्रयास कर रहे हैं.
राजनीतिक मंचों पर क्यों गूंज रही है बक्सर की विरासत?
अब तक केवल धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर ही बक्सर की चर्चा होती थी, लेकिन अब राजनीतिक दल और बड़े नेता भी इस पर खुलकर बोलने लगे हैं. विश्वामित्र सेना द्वारा की गई जन-जागरूकता मुहिम और बक्सर के गौरव को पुनर्स्थापित करने के प्रयासों का ही असर है कि आज यह विषय राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनता जा रहा है. चौबे ने इस बदलाव को सनातनी पहचान की बड़ी जीत करार दिया है.
विश्वामित्र सेना का संकल्प और प्रयास
राजकुमार चौबे ने बताया कि बक्सर में धार्मिक और सांस्कृतिक उत्थान की सख्त जरूरत थी, लेकिन अब इस दिशा में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. विश्वामित्र सेना सिर्फ बक्सर की सनातनी पहचान को मजबूत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि दलित बस्तियों में शिक्षा अभियान और धार्मिक जागरूकता अभियान भी चला रही है. इसके माध्यम से धर्मांतरण जैसी चुनौतियों का डटकर सामना किया जा रहा है.
चौबे का कहना है कि बक्सर की ऐतिहासिक गरिमा को पुनः स्थापित करने के लिए हर स्तर पर प्रयास जारी रहेंगे. उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस अभियान से जुड़कर अपने गौरवशाली अतीत को संजोने और संवारने में योगदान दें. अब समय आ गया है कि बक्सर अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाए और इसे सनातनी धरोहर के केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए.
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