अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: हर्षिता विक्रम – जिले की बेटी, जिसने शास्त्रीय नृत्य में रचा इतिहास

हाल ही में, उन्हें पंडित बिरजू महाराज कला सम्मान से नवाजा गया, जो उनकी कला और मेहनत का प्रमाण है. संस्कृति भारत संस्थान द्वारा 11 दिसंबर को पटना में आयोजित कार्यक्रम में यह सम्मान कैलिफोर्निया की शास्त्रीय संगीत प्रशिक्षक प्रमिता भट्टाचार्या ने प्रदान किया.










                                           


  • गाँव से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय मंच तक बनाई अपनी पहचान
  • शिक्षा के साथ-साथ कला को भी बना रही हैं बच्चों की प्रेरणा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : "जहाँ चाह, वहाँ राह" – यह कहावत हर्षिता विक्रम पर पूरी तरह से सटीक बैठती है. बिहार के एक छोटे से गाँव दनवार बिहटा (तरारी प्रखंड) की रहने वाली हर्षिता ने शास्त्रीय नृत्य (कथक) में अपनी अलग पहचान बनाई है. हाल ही में, उन्हें पंडित बिरजू महाराज कला सम्मान से नवाजा गया, जो उनकी कला और मेहनत का प्रमाण है. संस्कृति भारत संस्थान द्वारा 11 दिसंबर को पटना में आयोजित कार्यक्रम में यह सम्मान कैलिफोर्निया की शास्त्रीय संगीत प्रशिक्षक प्रमिता भट्टाचार्या ने प्रदान किया.

हर्षिता विक्रम का सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. उन्होंने चार वर्ष की उम्र से अपनी मौसी बबिता से नृत्य और संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की. उनके पिता विनोद कुमार सिंह और माता रचना कुमारी (प्रिंसिपल, पॉलिटेक्निक कॉलेज, भागलपुर) ने हमेशा उनकी कला को बढ़ावा दिया. हर्षिता तीन बहनें हैं, जिनमें वह सबसे बड़ी हैं. छोटी बहन खुशी अभी स्नातक की पढ़ाई कर रही है, जबकि अंकिता नौवीं कक्षा में भागलपुर में माँ के पास रहकर शिक्षा ग्रहण कर रही है.

आज हर्षिता अपनी मेहनत से न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं. 30 मार्च 2023 को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता में भी उन्हें आमंत्रित किया गया था. अपनी कला के दम पर उन्होंने 2024 में शिक्षक के रूप में शिव प्रसाद पुलिया +2 उच्च विद्यालय, पुलिया (बक्सर) में जॉइन किया. अब वह सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ कला की बारीकियाँ भी सिखा रही हैं.

कला और समाज सेवा में योगदान

हर्षिता को न केवल शास्त्रीय नृत्य में, बल्कि सामाजिक कार्यों के लिए भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं. उनके सम्मान की सूची लंबी है:

कामायनी कला सम्मान (वाराणसी - 2016)
अचीवर गैलरी अवार्ड (2018)
बेस्ट डॉटर अवार्ड, प्राइम ऑफ इंडिया (दिल्ली - 2019)
वैशाली कला सम्मान (2016)
मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स कला सम्मान (2018)

महिला दिवस पर बेटियों को मिली नई प्रेरणा

महिला दिवस के अवसर पर हर्षिता विक्रम की कहानी एक मिसाल है कि यदि एक महिला अपने सपनों को पूरा करने की ठान ले, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती.

हर्षिता की यह उपलब्धि हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है, जो बड़े सपने देखती है और उन्हें पूरा करने की हिम्मत रखती है.

नारी शक्ति को सलाम!

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें याद दिलाता है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. चाहे वह विज्ञान हो, खेल हो, राजनीति हो या फिर कला—हर क्षेत्र में महिलाएँ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. हर्षिता विक्रम जैसी बेटियाँ समाज को यह संदेश देती हैं कि "नारी सिर्फ शक्ति ही नहीं, बल्कि संस्कार और संस्कृति की पहचान भी है."












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