डुमरांव एसडीएम कार्यालय जा रहे प्रोफेसरों की स्कॉर्पियो पलटी, एक की मौत, तीन गंभीर रूप से घायल

हादसा इतना जबरदस्त था कि कपिलमुनी शर्मा की मौके पर ही जान चली गई. अन्य तीनों घायलों को तत्काल अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया. 










                                           




  • अकालुपुर पुलिया पर असंतुलित होकर गिरी गाड़ी, मृतक प्राचार्य कपिलमुनी शर्मा की मौके पर मौत
  • SDM, विधायक और पुलिस मौके पर पहुंचे, घायलों का निजी अस्पताल में इलाज जारी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सोमवार दोपहर एक दर्दनाक हादसे में डीके मेमोरियल कॉलेज डुमरी के प्रभारी प्राचार्य कपिलमुनी शर्मा की मौके पर ही मौत हो गई. हादसे में एमवी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ पीके सिन्हा, प्रो. रामकुमार सिंह और डॉ छोटक कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए. सभी प्रोफेसर एक शासकीय निकाय की बैठक में शामिल होने के लिए डुमरांव SDM कार्यालय जा रहे थे, तभी रास्ते में अकालुपुर गांव के पास जर्जर पुलिया पार करते समय उनकी स्कॉर्पियो असंतुलित होकर नीचे गिर गई.

जानकारी के अनुसार स्कॉर्पियो किसी प्रोफेसर द्वारा ही चलाई जा रही थी. दोपहर करीब 2:30 बजे जैसे ही गाड़ी पुलिया पार कर रही थी, उसका संतुलन बिगड़ गया. हादसा इतना जबरदस्त था कि कपिलमुनी शर्मा की मौके पर ही जान चली गई. अन्य तीनों घायलों को तत्काल अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया. फिलहाल उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है.

घायलों में प्रो. रामकुमार सिंह का एक पैर टूट गया है, डॉ छोटक कुमार को सीने में गंभीर चोटें आई हैं और डॉ पीके सिन्हा की स्थिति नाजुक बताई जा रही है. घटना की सूचना मिलते ही डुमरांव SDM राकेश कुमार, स्थानीय विधायक डॉ अजीत कुमार सिंह और डुमरांव थाना पुलिस मौके पर पहुंची. अधिकारियों ने अस्पताल में घायलों से मुलाकात कर उनकी स्थिति की जानकारी ली और घटना पर गहरा दुख प्रकट किया.

मृतक कपिलमुनी शर्मा बिहटा थाना क्षेत्र के काब गांव के निवासी थे. उनकी मृत्यु से न केवल परिवार बल्कि शिक्षा जगत में भी गहरा शोक है. डॉ छोटक कुमार डुमरी गांव के निवासी हैं और इलाके में एक दक्ष अंग्रेजी शिक्षक के रूप में जाने जाते हैं. यह हादसा न केवल जर्जर पुलिया की स्थिति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि प्रोफेसरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी चिंताएं बढ़ाता है.










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