गुरु पूर्णिमा पर बक्सर में गूंजे जयकारे, मंदिरों-मठों में श्रद्धा का उमड़ा सैलाब ..

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. यह पर्व महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने चारों वेदों का संकलन किया था. इस दिन को गुरु-शिष्य परंपरा के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है.









                                           




- गुरु वंदना, भजन-कीर्तन और पूजन से महक उठा पूरा शहर, श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़

- गुरुओं के प्रति श्रद्धा और आत्मिक मार्गदर्शन का पर्व बक्सर में धूमधाम से मनाया गया

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर बक्सर जिले में धार्मिक आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला. जिले के प्रमुख मंदिरों और मठों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालुओं ने फूल, फल, मिठाई और वस्त्र अर्पित कर अपने गुरुओं का पूजन किया. इस अवसर पर नगर के अहिरौली मठिया, बसांव मठ, बड़ी व छोटी मठिया, नया बाजार आश्रम, ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर, रामरेखा घाट, गौरी शंकर मंदिर, रामेश्वरनाथ मंदिर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के आश्रमों और मठों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया.

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. यह पर्व महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने चारों वेदों का संकलन किया था. इस दिन को गुरु-शिष्य परंपरा के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. बक्सर के कई संतों और महंतों ने अपने प्रवचनों में गुरु के महत्व को बताया बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि गुरु जीवन में दिशा दिखाने वाले प्रकाश स्तंभ होते हैं. उनका सम्मान सदैव करना चाहिए.

मठों और मंदिरों में आयोजित सत्संग और भजन-कीर्तन की गूंज से माहौल भक्तिमय बना रहा. श्रद्धालु घंटों तक कतार में लगकर अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेने पहुंचे. कुछ स्थलों पर प्रसाद वितरण भी किया गया, जिससे सैकड़ों लोगों ने लाभ उठाया. महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों में उत्साह देखते ही बन रहा था.

यह पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों में भी श्रद्धा से मनाया जाता है. बक्सर में रहने वाले नेपाली नागरिकों ने भी गुरु वंदना में भाग लिया. गुरु पूर्णिमा आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि लोग इस दिन अपने जीवन को नए सिरे से दिशा देने का संकल्प लेते हैं.

गुरु पूर्णिमा के इस पर्व पर बक्सर एक बार फिर अध्यात्म, श्रद्धा और भारतीय संस्कृति का केंद्र बन गया.










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