राष्ट्र सेवकों का निर्माण कर रहा गुरुकुल: राजकुमार चौबे

प्रातःकालीन समय में जब विद्यार्थी वेद मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण करते हैं तो पूरा परिसर श्रद्धा और दिव्यता से गूंज उठता है. यह दृश्य ऋषि-मुनियों की तपोभूमि की याद दिलाता है. विद्यार्थियों में आध्यात्मिकता और संस्कृति के प्रति गहरा जुड़ाव पैदा करने के साथ-साथ उन्हें आधुनिक शिक्षा से भी जोड़ा जा रहा है.




                                         





  • आध्यात्मिक माहौल और आधुनिक शिक्षा का अद्भुत संगम
  • विद्यार्थियों में संस्कार, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का बीजारोपण

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : विश्वामित्र सेना के संरक्षण में संचालित श्रीधराचार्य वेद गुरुकुलम आज समाज और राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरणास्रोत बनता जा रहा है. यह गुरुकुल अपनी अनूठी शिक्षा पद्धति के कारण विशेष पहचान बना रहा है, जहाँ विद्यार्थियों को परंपरा और आधुनिकता दोनों का संतुलित ज्ञान प्राप्त होता है. विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे का कहना है कि यह गुरुकुल केवल नौकरी पाने वाले अभ्यर्थी तैयार नहीं करता, बल्कि राष्ट्र सेवकों और समाज के आदर्श नागरिकों का निर्माण करता है.

गुरुकुल का वातावरण पूरी तरह अनुशासन, संस्कार और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है. प्रातःकालीन समय में जब विद्यार्थी वेद मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण करते हैं तो पूरा परिसर श्रद्धा और दिव्यता से गूंज उठता है. यह दृश्य ऋषि-मुनियों की तपोभूमि की याद दिलाता है. विद्यार्थियों में आध्यात्मिकता और संस्कृति के प्रति गहरा जुड़ाव पैदा करने के साथ-साथ उन्हें आधुनिक शिक्षा से भी जोड़ा जा रहा है.

यहाँ विद्यार्थियों को संस्कृत, वेद, उपनिषद और धर्मशास्त्र का गहन अध्ययन कराया जाता है. साथ ही, उन्हें विज्ञान, गणित, अंग्रेज़ी और कंप्यूटर जैसे विषयों की भी शिक्षा दी जाती है. इस संतुलित पाठ्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को भविष्य की प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना और साथ ही उनकी जड़ों से जोड़कर रखना है.

गुरुकुल के आचार्य केवल अध्यापक नहीं, बल्कि आदर्श मार्गदर्शक हैं. वे बच्चों में अनुशासन, सदाचार और राष्ट्रभक्ति की भावना का बीजारोपण करते हैं. शिक्षा के साथ-साथ चरित्र निर्माण पर विशेष बल दिया जाता है, ताकि विद्यार्थी समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरक सिद्ध हों.

राजकुमार चौबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रीधराचार्य वेद गुरुकुलम सनातन संस्कृति का जीवंत केंद्र है. यहाँ दी जा रही शिक्षा विद्यार्थियों को केवल ज्ञान ही नहीं देती, बल्कि उन्हें जीवन का साधक और राष्ट्र का सच्चा सेवक बनने की दिशा में अग्रसर करती है. उन्होंने विश्वास जताया कि गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी भविष्य में भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.







Post a Comment

0 Comments