आरोप है कि एसडीएम ने जांच और रिकॉर्ड देखने का हवाला देते हुए जमानत पर फैसला टाल दिया. इसी बात पर विवाद बढ़ गया और कथित तौर पर अभद्र व्यवहार हो गया. अधिवक्ता का कहना है कि धारा 107 में आरोपी को जेल भेजने का अधिकार एसडीएम को नहीं है, यह गैरकानूनी है.
- अधिवक्ता धनजी सिंह ने सदर एसडीएम पर मारपीट, गला दबाने और कागजात छीनने का आरोप लगाया.
- विवाद धारा 107 में आरोपी को जेल भेजे जाने से उपजा.
- एसडीएम अविनाश कुमार ने सभी आरोपों को निराधार बताया.
बक्सर न्यूज़ बक्सर, बक्सर : सदर अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम) अविनाश कुमार के खिलाफ बुधवार को ही अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में परिवाद दायर किया था. अधिवक्ताओं का आरोप है कि जमानत की बहस के दौरान एसडीएम ने न सिर्फ मारपीट की, बल्कि गला दबाया और उनके दस्तावेज भी छीन लिए. मामला अब तूल पकड़ चुका है.
जानकारी के अनुसार, 14 सितंबर को अनुमंडल न्यायालय ने इनरपुर गांव निवासी राम कुमार राम को धारा 107 में जेल भेजा था. इसके बाद 16 सितंबर को अधिवक्ता धनजी सिंह जमानत आवेदन लेकर एसडीएम के समक्ष पहुंचे. आरोप है कि एसडीएम ने जांच और रिकॉर्ड देखने का हवाला देते हुए जमानत पर फैसला टाल दिया. इसी बात पर विवाद बढ़ गया और कथित तौर पर अभद्र व्यवहार हो गया. अधिवक्ता का कहना है कि धारा 107 में आरोपी को जेल भेजने का अधिकार एसडीएम को नहीं है, यह गैरकानूनी है.
अधिवक्ता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में एसडीएम पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. वहीं, इस मामले में जब एसडीएम अविनाश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने सभी आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह एक पुराने वाद से जुड़ा मामला है, जिसमें आरोपी पर वारंट जारी था. रविवार को पुलिस द्वारा सक्षम पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद जमानतदार नहीं आने पर आरोपी को मजबूरन न्यायिक हिरासत में भेजा गया.
एसडीएम ने स्पष्ट किया कि दो दिन बाद जब अधिवक्ता कार्यालय आए तो उनसे कहा गया कि कागजात देखने के बाद जमानत दी जाएगी. लेकिन इस बात पर अधिवक्ता नाराज हो गए और कार्यालय में हंगामा करने लगे. उन्होंने कहा कि आरोपी की जमानत रिपोर्ट मंगा ली गई है और उसे जल्द जमानत मिल जाएगी. न्यायालय से यदि जवाब मांगा जाएगा तो उसका आदरपूर्वक जवाब दिया जाएगा.
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