आनंद मिश्रा की पहचान एक सख्त, निर्भीक और जमीनी अधिकारी के रूप में रही है. असम कैडर के इस तेजतर्रार आईपीएस ने नगांव जिले में तैनाती के दौरान नशे के माफियाओं और आपराधिक गिरोहों पर ऐसी कार्रवाई की थी कि मिश्रा का नाम वहां के लोगों की जुबान पर चढ़ गया.
- पूर्व आईपीएस की एंट्री से बढ़ी चुनावी गर्मी, एनडीए ने खेला ब्राह्मण कार्ड
- एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अब मैदान में, बोले– इस बार बक्सर बोलेगा बदलाव की भाषा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल अब गरमाने लगा है और इस सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है बीजेपी ने. पार्टी ने बक्सर सीट से अपने प्रत्याशी के रूप में ऐसे नाम की घोषणा की है जिसने एक समय अपराधियों की नींद उड़ा दी थी. जी हां, बात हो रही है पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा की — जिन्हें असम में लोग आज भी ‘सुपर कॉप’ और ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ के नाम से जानते हैं.
आनंद मिश्रा की पहचान एक सख्त, निर्भीक और जमीनी अधिकारी के रूप में रही है. असम कैडर के इस तेजतर्रार आईपीएस ने नगांव जिले में तैनाती के दौरान नशे के माफियाओं और आपराधिक गिरोहों पर ऐसी कार्रवाई की थी कि मिश्रा का नाम वहां के लोगों की जुबान पर चढ़ गया. उस वक्त कई बड़े गिरोहों का सफाया उन्होंने किया था. उनकी कार्यशैली इतनी दमदार थी कि स्थानीय मीडिया उन्हें ‘रियल-लाइफ सिंघम’ कहने लगा था.
अब वही आनंद मिश्रा राजनीति के अखाड़े में कदम रख चुके हैं. बीजेपी ने उन्हें बक्सर जैसे ब्राह्मण बहुल और रणनीतिक दृष्टि से अहम सीट से टिकट देकर एक सोचा-समझा सियासी दांव खेला है. पार्टी का मानना है कि मिश्रा की ईमानदार और पढ़े-लिखे अधिकारी की छवि एनडीए को न सिर्फ बक्सर बल्कि आसपास की सीटों पर भी फायदा पहुंचा सकती है.
लोकसभा चुनाव 2024 में आनंद मिश्रा ने बक्सर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमाई थी. भले ही जीत उनसे दूर रही, लेकिन उन्होंने 50 हजार से अधिक वोट हासिल कर यह साबित किया कि बक्सर की जनता उन्हें पसंद करती है. यही कारण है कि भाजपा ने इस बार उन पर भरोसा जताया है.
1981 में जन्मे आनंद मिश्रा का बचपन बक्सर में बीता, लेकिन उनके मूल निवास भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के पड़सौरा गांव में है. उनके पिता हिंदुस्तान मोटर्स, कोलकाता में इंजीनियर रहे हैं. कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक करने के बाद आनंद मिश्रा ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईपीएस बने.
कड़क अनुशासन और सटीक निर्णय लेने की क्षमता ही उनकी पहचान बन गई. और अब वही सख्त अधिकारी जनता के बीच ‘सेवक’ की भूमिका में उतर आया है. मिश्रा कहते हैं –
“मैंने सेवा पुलिस की वर्दी में भी की और अब जनता की वर्दी में करूंगा. बक्सर मेरा घर है, और इसे सुरक्षित, शिक्षित और विकसित बनाना मेरा सपना है.”
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो बक्सर सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
मिश्रा के सामने महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी संजय कुमार तिवारी (मुन्ना तिवारी) और जन सुराज से तथागत हर्षवर्धन हैं.
तीनों उम्मीदवार अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में हैं, लेकिन मिश्रा की लोकप्रियता, युवाओं के बीच पकड़ और ‘सुपर कॉप’ वाली छवि ने मुकाबले को पहले ही रोमांचक बना दिया है.
इस बार की जंग सिर्फ जीत की नहीं, बल्कि छवि और विश्वास की भी है.
और जनता के बीच सवाल यही गूंज रहा है —
“क्या बक्सर की कमान अब ‘सुपर कॉप’ के हाथों में आएगी?”
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