बताया कि वे पिछले 17 वर्षों से अमेरिका में छठ व्रत कर रही हैं और अब यह उनकी जीवन परंपरा का हिस्सा बन चुका है. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर न केवल भारतीय मूल के लोग बल्कि स्थानीय अमेरिकी नागरिक भी पूजन में शामिल होते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं.

- पेंसिलवेनिया में बक्सर निवासी डॉक्टर परिवार ने मनाया महापर्व
- दो दशक से निभा रहे हैं परंपरा, स्विमिंग पूल में खड़े होकर देते हैं अर्घ्य
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ अब सात समुंदर पार अमेरिका में भी अपनी रौनक बिखेर रहा है. बक्सर जिले के सोनवर्षा निवासी डॉ तारकेश्वर तिवारी और उनकी पत्नी डॉ भारती तिवारी ने अमेरिका के पेंसिलवेनिया में इस वर्ष भी श्रद्धा और उत्साह के साथ छठ महापर्व का अनुष्ठान आरंभ किया है. नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व में वहां के प्रवासी बिहारी समुदाय ने भी पूरे हर्षोल्लास के साथ भागीदारी निभाई.
डॉ भारती तिवारी ने बताया कि वे पिछले 17 वर्षों से अमेरिका में छठ व्रत कर रही हैं और अब यह उनकी जीवन परंपरा का हिस्सा बन चुका है. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर न केवल भारतीय मूल के लोग बल्कि स्थानीय अमेरिकी नागरिक भी पूजन में शामिल होते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस बार उनके साथ अमेरिका में लोकगीतों की मधुर प्रस्तुति देने वाली स्वाति पांडेय और उनके पति तरुण कैलाश भी मौजूद रहे. उन्होंने खरना प्रसाद बनाने और पूजा की तैयारियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिससे छठ का माहौल प्रवासी समुदाय में और भी जीवंत हो गया.
पेंसिलवेनिया में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के लिए छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने का माध्यम भी है. दिलचस्प बात यह है कि अब अमेरिकी बाजारों में भी छठ पूजा की सभी सात्विक सामग्रियां आसानी से उपलब्ध होने लगी हैं — चाहे वह मूली-गाजर हो या पूजन सामग्री. वहां के पेशेवर, चिकित्सक, इंजीनियर और प्रवासी परिवार अपने घरों, पार्कों और तालाबों के किनारे पारंपरिक ढंग से छठ पूजा का आयोजन करते हैं.
दो दशक से निभा रही हैं परंपरा
डॉ तारकेश्वर तिवारी पेशे से फेफड़ा रोग विशेषज्ञ (पल्मोनोलॉजिस्ट) हैं. उन्होंने और उनकी पत्नी डॉ भारती तिवारी ने बताया कि वे लगभग दो दशक से अमेरिका में छठ पर्व मना रहे हैं. दोनों बड़े ही पवित्रता और सादगी के साथ पूजन करते हैं. डॉ तिवारी स्वयं भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं और अन्य व्रतियों को भी सहयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि यह परंपरा उनके माता-पिता और परिवार के आशीर्वाद से निरंतर चल रही है.
स्विमिंग पूल में खड़े होकर देते हैं भगवान भास्कर को अर्घ्य
पारंपरिक परिधानों में सजे तिवारी दंपति अपने घर के स्विमिंग पूल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं. पूजन के लिए मूली, गाजर और अन्य मौसमी फल सजाए जाते हैं. छठ गीतों की मधुर ध्वनि माहौल को और अधिक भक्ति से भर देती है. पहले जहां पूजा गीतों की सीडी मंगानी पड़ती थी, वहीं अब यूट्यूब के माध्यम से छठ गीतों की गूंज अमेरिका में भी सुनाई देने लगी है.
छठ पर्व की यह अनोखी झलक यह दर्शाती है कि आस्था और परंपरा सीमाओं में नहीं बंधती. बक्सर की मिट्टी से जुड़ी छठ की भावना अब पेंसिलवेनिया की धरती पर भी भारतीय संस्कृति की नई छटा बिखेर रही है.






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